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स्थानीय पत्रकार नीरज सिन्हा के अनुसार कोर्ट ने इसमें कुल 15 लोगों को दोषी ठहराया है जिसमें लालू प्रसाद भी हैं। इसके साथ ही सात लोगों को बरी कर दिया गया है और इसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा शामिल हैं। इस केस में लालू यादव पर यह भी आरोप था कि बिहार के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तौर पर इस घपले के साज़िशकर्ताओं के ख़िलाफ़ जांच की फाइलें अपने क़ब्जे में रखी थीं।
इसके साथ ही यह भी आरोप था कि नौकरशाहों की आपत्तियों के बावजूद लालू प्रसाद ने तीन अधिकारियों को एक्सटेंशन दिया था। सीबीआई का कहना है कि लालू यादव को ग़बन के बारे में पता था फिर भी उन्होंने इस लूट को रोका नहीं था। इस केस में लालू यादव के साथ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जग्गनाथ मिश्रा और 19 अन्य लोग अभियुक्त थे। जग्गनाथ मिश्रा को अदालत ने बरी कर दिया है।
शुरू में इस केस में 34 लोगों पर आरोप तय किए गए थे, लेकिन इनमें से 11 लोगों की केस की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह ने 13 दिसंबर को केस की सुनवाई कर ली थी।
अक्टूबर 2013 में लालू यादव को एक मामले में दोषी ठहराया गया था। इस मामले में 37 करोड़ ग़बन का मामला था। अदालत के इस फ़ैसले के कारण लालू प्रसाद को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य ठहरा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने से पहले लालू को इस मामले में दो महीने जेल में भी रहना पड़ा था।
2014 में झारखंड हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव और अन्य लोगों को राहत देते हुए आपराधिक साज़िश के मामले को वापस ले लिया था। अदालत का कहना था कि जिस शख़्स को जिस मामले में दोषी ठहरा दिया गया है उसे उसकी केस में उन्हीं गवाहों और चश्मदीदों के आधार पर फिर से जांच नहीं की जा सकती है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव घपले से जुड़े अन्य मामलों में भी अभियुक्त हैं। उन पर नक़ली दवाई और पशुओं के चारे में 900 करोड़ ग़बन के आरोप तय हैं। सीबीआई ने इन मामलों की जांच 1996 में ही शुरू कर दी थी।