नई दिल्ली। भारतीय रेल की शुरूआत भारतीय नागरिकों को सुलभ और सस्ता परिवहन उपलब्ध कराने के लिए की गई थी परंतु अब रेल विभाग को किसी धंधेबाज मुनाफा कमाने की लालची कार्पोरेट कंपनी की तरह बदलने की तैयारी कर चल रही है। एक नया प्रपोजल आया है। इसके अनुसार जब जब यात्रियों की भीड़ बढ़ेगी, रेल का किराया भी बढ़ा दिया जाएगा। शुरूआत में यह 10-20% तक या इससे भी ज्यादा हो सकता है। बता दें कि इससे पहले कुछ ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम भी लागू किया जा चुका है। बता दें कि कुछ दिन पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल रेलवे को एयरलाइन्स की तरह ऑपरेट करने की बात कही थी।
10-20% तक किराया बढ़ाने का प्रपोजल
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, डायनामिक प्राइसिंग को लेकर ईस्टर्न, वेस्टर्न और वेस्ट-सेंट्रल जोन अपनी-अपनी प्रेजेंटेशन बना चुके हैं। इनके डॉक्युमेंट्स न्यूज एजेंसी के पास हैं। डॉक्युमेंट्स के मुताबिक, "सभी जोन्स ने त्योहारों और छुट्टियों के सीजन में रेलवे के किराए को 10 से 20% तक बढ़ाए जाने का प्रपोजल तैयार किया है। दिवाली, दुर्गा पूजा, छठ और क्रिसमस जैसे त्योहारों में पैसेंजर्स की भारी तादाद को देखते हुए रेलवे इन दिनों में एडिशनल चार्ज लगा सकता है।
डिस्काउंट के अंगूर जो टूट ही नहीं पाएंगे
जोन्स ने ऑड टाइम में सफर करने वाले पैसेंजर्स को डिस्काउंट देने की बात कही है। यानी, रात 12 से सुबह 4 बजे और दोपहर 1 से 5 बजे सफर करने वालों किराए में डिस्काउंट दिया जा सकता है। आखिरी समय में खाली रह जाने वाली सीटों के लिए भी पैसेंजर्स को 10 से 30% तक डिस्काउंट देने का सुझाव दिया गया है। सवाल यह है कि यदि कोई यात्री 4 घंटे से ज्यादा सफर करता है तो उसे यह डिस्काउंट नहीं मिलेगा। दूसरा जब यात्री होंगे ही नहीं तो डिस्काउंट का फायदा ही क्या है।
हाई स्पीड ट्रेन और भी ज्यादा महंगी हो जाएंगी
डॉक्युमेंट्स में कहा गया है, "एक ही रूट पर चलने वाली दो अलग ट्रेनों के लिए भी अलग-अलग चार्ज वसूला जा सकता है। चार्ज ट्रेन की स्पीड के बेस पर वसूला जाएगा। हाई स्पीड ट्रेन का चार्ज नॉर्मल ट्रेन से ज्यादा रहेगा। हाईस्पीड ट्रेन नॉर्मल ट्रेनों के मुकाबले जितने कम वक्त में सफर पूरा करती है, किराया वसूलने के लिए उसी को आधार बनाया जाएगा। ओवरनाइट (रातभर में सफर पूरा करने वाली) ट्रेन्स और पैंट्री कार वाली ट्रेन्स के लिए पैसेंजर्स से प्रीमियम चार्ज वसूलने पर भी जोर दिया गया है। वर्तमान में भी एक्सप्रेस और सुपर फास्ट ट्रेनों के किराए में अंतर होता है परंतु यह एक सामान्य अंतर होता है। प्रपोजल स्वीकार हुआ तो यह अंदर काफी ज्यादा हो जाएगा।
इसमें बुराई क्या है
रेल विभाग भारत सरकार का उपक्रम है। भारत सरकार जो आम जनता से हर चीज पर टैक्स लेती है। यहां तक कि बीपीएल श्रेणी में सूचिबद्ध गरीब नागरिकों से भी जीएसटी वसूला जाता है। अत: सरकारी उपक्रम आम जनता की सुविधा के लिए होने चाहिए। रेल विभाग का मुनाफा मालभाड़े से होता है। यात्रियों को सब्सिडी सरकार या सांसदों की कमाई से नहीं दी जाती। मालभाड़े से होने वाली कमाई यात्रियों की सुविधा पर खर्च की जाती है। अत: यह कतई स्वीकार्य योग्य नहीं हो सकता कि सरकार किसी दुकानदार की तरह बात करे।