भोपाल। तीन महीने पहले 29 सितंबर से नर्मदा परिक्रमा पर निकले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की धार्मिक यात्रा पर एक ऐसे संत ने सवाल उठा दिए हैं जिनका सम्मान खुद दिग्विजय सिंह करते हैं। स्वामी तृप्तानंद ने उन्हे सलाह दी कि जब नर्मदा परिक्रमा कर ही रहे हो तो नंगे पैर करो। पादुका पहनकर चलेंगे तो नर्मदा परिक्रमा का सरलीकरण हो जाएगा। जिन चीजों का सरलीकरण होता है उनमें सांस्कृतिक प्रदूषण आया है।
खबर आ रही है कि मप्र पहुंचने से पहले परिक्रमा के दौरान गुजरात से गुजर रहे पूर्व सीएम ने स्वामी तृप्तानंद से मुलाकात के उद्देश्य से फोन पर बात की तब उन्होंने यह सलाह दी। उन्होंने दिग्विजय सिंह को संकेत दिए कि नंगे पैर यात्रा के अद्भुत परिणाम मिलेंगे। दिग्विजय सिंह उनके दर्शन करना चाहते थे। फोन पर दिग्विजय सिंह ने बताया कि हम उत्तर तट पर आ गए हैं और पूछा कि आप कहां पर विराज रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि वे गुजरात के सौराष्ट्र में अमरेली जिले में हैं। नर्मदा तट पर नहीं हैं।
इसके बाद उन्होंने दिग्विजय सिंह से कहा कि -"नर्मदा की परिक्रमा में खाली पैर चलने का चिरपोषित रिवाज है। अब आपने इतना कर लिया है तो थोड़ा और सही। ऐसा करने से आपके पैरों में कोई तकलीफ नहीं होगी। बहुत सारा लाभ है उसके अंदर। एक्यूपंक्चर होगा। एक्युप्रेशर होगा। उन्होंने आगे कहा कि, जो बड़े लोग कर देते हैं वह आने वाली पीढ़ियों के लिए परंपराओं का नजीर बन जाती है इसलिए भी नंगे पैर परिक्रमा करना उचित है।
स्वामी ने कहा कि पादुका पहनकर चलेंगे तो नर्मदा परिक्रमा का सरलीकरण हो जाएगा। जिन चीजों का सरलीकरण होता है उनमें सांस्कृतिक प्रदूषण आया है। स्वामी ने बताया कि जो परिक्रमा शेष रह गई है वो बिना जूते-चप्पल पहनें करें। आप जहां हो, जूते वहीं छोड़ कर चल दें। संकोचवश दिग्विजय इस सलाह पर इतना ही कहा पाए कि -हम कर पाएंगे क्या?