धुमल के लिए उनका आशीर्वाद ही आत्मघाती है, सत्ता से सन्यास के मुहाने पर ले आया | national news

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हार चुके पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम सिंह धूमल का आशीर्वाद ही उनके लिए आत्मघाती है। कथाओं में जैसे एक राक्षस जिस पर हाथ रख देता था वो भस्म हो जाता था। कुछ ऐसा ही धूमल के साथ भी है लेकिन बिल्कुल उल्टा। धूमल जिसे आशीर्वाद देते हैं वही धूमल की कुर्सी छीनकर ले जाता है। धूमल के आशीर्वादों ने धूमल को उस समय राजनीति से सन्यास के मुहाने पर ला खड़ा किया है जबकि उन्हे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक नई पारी की शुरूआत करनी थी। 

पहले आशीर्वाद में विधायकी गई

इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान सुरक्षित सीट मानते हुए प्रेम कुमार धूमल ने जिला हमीरपुर की सुजानपुर विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल किया था। उनके खिलाफ कांग्रेस से जो प्रत्याशी उतारा गया वो उनका अपना शिष्य राजिन्दर सिंह राणा था। पर्चा दाखली के दिन दोनों की मुलाकात हुई तो राजिन्दर ने सबसे सामने धूमल के पैर छुए और आीशर्वाद मांगा। धूमल ने भी आशीर्वाद दिया। इसी का प्रताप था कि राजिन्दर जीत गए और धूमल हार गए। 

दूसरे में सीएम की कुर्सी जा रही है

हिमाचल में भाजपा चुनाव जीत चुकी है। धूमल समर्थक विधायकों की संख्या भी काफी है। धूमल घोषित सीएम कैंडिडेट थे। अब जबकि भाजपा बहुमत में है तो सीएम कैंडिडेट का अधिकार बनता है कि वो मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करे परंतु धूमल को किनारे करने की कोशिश की जा रही है। तर्क दिया जा रहा है कि धूमल तो विधानसभा चुनाव हार गए। इस बीच जयराम ठाकुर ने सीएम पद के लिए दावेदारी ठोक दी और धूमल से आशीर्वाद मांगने उनके निवास पर पहुंच गए। काफी हद तक उम्मीद है कि धूमल का आशीर्वाद फिर से चमत्कार दिखाएगा और जयराम ठाकुर सीएम बन जाएंगे। एक आशीर्वाद में विधायक का पद चला गया, दूसरे में सीएम की कुर्सी। 

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