मुंबई। एनआइए की अवधारणा पर विशेष अदालत ने मुहर लगाते हुए कहा है कि मालेगांव विस्फोट का मकसद हिंदू राष्ट्र की स्थापना था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मकोका से आरोपी बरी हो चुके हैं लेकिन एनआइए की अदालत ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों पर आतंकवाद फैलाने का आरोप प्रथम दृष्टया दिख रहा है। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई बाइक को पहले ही बेच दिया गया था।
एनआइए की अवधारणा पर विशेष अदालत ने लगाई मुहर
एनआइए कोर्ट के स्पेशल जज एसडी टेकाले ने 130 पेज के आदेश में कहा कि साध्वी के नाम पर ही वाहन के दस्तावेज हैं। इसमें गवाह नंबर 184 के बयान को सच के करीब माना गया है। इसमें कहा गया था कि साध्वी प्रज्ञा, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी व सुधाकर चतुर्वेदी ने भोपाल में बैठक करके वारदात की साजिश रची थी।
इसके लिए मस्जिद को चुना गया। रमजान के महीने में वारदात को अंजाम देने की वजह एक समुदाय विशेष में भय पैदा करना था। कर्नल पुरोहित टीम की अगुआई कर रहा था। अभिनव भारत संगठन के जरिये हिंदू स्वाभिमान की रक्षा का अभियान चलाया जा रहा था।
आदेश में कहा गया था कि पुरोहित ने इसके बारे में सेना के अफसरों को जानकारी नहीं दी थी। वह गुपचुप तरीके से एजेंडे पर काम कर रहा था। अदालत ने यह फैसला बुधवार को दिया था, लेकिन इसका विवरण गुरुवार को ही सामने आ सका है।