भोपाल। भले ही दिग्विजय सिंह राजनीति से सन्यास क्यों ना ले लें, परंतु कांग्रेस के भीतर होने वाली उठापटक के पीछे 'दिग्गी के दिमाग' की तलाश हो रही जाती है। इन दिनों मामला राहुल गांधी के निर्वाचन का है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद हेतु वो नामांकन दाखिल कर चुके हैं। दिग्विजय सिंह 6 माह के राजनैतिक अवकाश पर नर्मदा यात्रा कर रहे हैं परंतु यात्रा में राजनीति का दखल लगातार जारी है। इस बीच शहजाद पूनावाला का प्रसंग आ गया। जो बात सब जानते हैं, उसे पूनावाला ने शब्द दे दिए। ये भी सब जानते हैं कि इन शब्दों से कुछ होने वाला नहीं है फिर भी शहजाद पूनावाला जैसा युवा नेता बागी हो गया। सवाल यह है कि आखिर यह हुआ क्यों। क्या किसी पूनावाला को उकसाया था। बीजेपी तो नहीं हो सकती, तो क्या कांग्रेस में ही है कोई। कांग्रेस की गुटबाजी पर नजर रखने वाले दिग्विजय सिंह को संदेह की नजर से देख रहे हैं।
हो सकता है यह अफवाह हो या फिर इसके पीछे कोई रणनीति भी हो परंतु चर्चा तो है। सवाल यह है कि अचानक पूनावाला बागी क्यों हो गए। दरअसल, शहजाद पूनावाला कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं। इस समय दिग्गी राजा नर्मदा यात्रा पर है और राजनीति से कुछ दिन के सन्यास पर हैं। वहीं, कांग्रेस ने गुजरात चुनाव में हिन्दू कार्ड खेलते हुए दिग्विजय सिंह को गुजरात में चुनाव प्रचार से काफी दूर रखा। अगर साफ लफ्जों में कहें तो उनकी अनदेखी की है, तो क्या दिग्गी ने इसी का बदला लेते हुए शहजाद पूनावाला के कंधे पर बंदूक रख कर राहुल को निशाना बनाय है?
आपको बता दें कि चाहे लोकसभा हो या राज्यसभा चुनाव दिग्विजय सिंह कांग्रेस की तरफ से स्टार प्रचारक तौर पर चुनाव प्रचार करते थे। उनके ऊपर पार्टी की नइया पार लगाने का जिम्मा होता था, लेकिन गुजरात चुनाव में दिग्विजय सिंह को याद तक नहीं किया गया। कहा जा रहा है कि उनकी गैर हिन्दूवादी छवि को गुजरात चुनाव से दूर रखते हुए सूबे में सांप्रदायिकता का कार्ड खेला है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस उपाध्क्ष राहुल गांधी मंदिर-मंदिर दर्शन कर खुद को हिन्दूवादी नेता बताने में लगे हुए हैं।