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ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरूआत की
रतन टाटा को तो आप जानते ही होंगे। वही जिसने 1961 में टाटा कंपनी में बतौर एक सामान्य कर्मचारी काम शुरू किया था और 30 साल बाद वो टाटा के चेयरमैन थे। ये बात है साल 1998 की, जब टाटा मोटर्स ने अपनी पहली पैसेंजर कार इंडिका बाजार में उतारी थी। दरअसल यह रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था और इसके लिए उन्होंने जीतोड़ मेहनत की थी। लेकिन इस कार को बाजार से उतना अच्छा रेस्पोंस नहीं मिल पाया, वो फेल हो गई थी। इस वजह से टाटा मोटर्स घाटे में जाने लगी, कंपनी से जुड़े लोगों ने घाटे को देखते हुए टाटा मोटर्स कंपनी को बेचने का सुझाव दिया और न चाहते हुए भी रतन टाटा को इस फैसले को स्वीकार करना पड़ा।
बिल फोर्ड ने अपमानित किया
इसके बाद वो अपनी कंपनी बेचने के लिए अमेरिका की फेमस कार निर्माता कंपनी फोर्ड के पास गए। रतन टाटा और फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड की बैठक कई घंटों तक चली। इस दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि जिस व्यापार के बारे में आपको जानकारी नहीं है उसमें इतना पैसा क्यों लगा दिया। ये कंपनी खरीदकर हम आप पर एहसान कर रहे हैं।
अपमान के आंसुओं से सफलता को सींचा
बिल फोर्ड के ये शब्द रतन टाटा के दिल और दिमाग पर छप गए। टाटा मोटर्स का अर्थ टाटा समूह नहीं था। वो टाटा समूह का एक छोटा सा अंग थी और टाटा समूह घाटे में नहीं था। इस अपमान के बाद रतन टाटा वहां से चले आए और डील को रद्द कर दिया लेकिन उन्होंने बिल फोर्ड से बदला लेने के लिए उस पर हमला नहीं किया बल्कि इस अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत अपना उत्पाद सुधारने में लगा दी। इसके लिए उन्होंने एक रिसर्च टीम तैयार की और बाजार का मन टटोला। इसके बाद की कहानी सभी को पता है कि भारतीय बाजार के साथ-साथ विदेशों में भी टाटा इंडिका ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। इसके बाद की कहानी तो आपको पता ही होगी। टाटा मोटर्स ने फोर्ड ग्रुप की लक्जरी कार लैंड रोवर और जैगुआर बनाने वाली कंपनी जेएलआर जो टाटा मोटर्स की तरह घाटे में चली गई थी, को खरीदा।
निष्कर्ष:
लव्वोलुआब यह कि अपने अपमान का बदला लेने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि आप अपने व्यक्तितव में विकास करें और उस लक्ष्य हो हासिल करें जब सामने वाला अपने बयान के लिए अपने आप शर्मिंदा हो जाए। इसमें कुछ समय जरूर लगेगा लेकिन तय मानिए यह तरीका आपको सफलता के शिखर तक ले जाएगा। आपको करोड़पति बना सकता है।