
पीठ ने कहा कि केंद्र ने पहले ही एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है कि संबंध स्थापित करना एक अधिकार है ना कि विशेषाधिकार तथा कैदियों को अपनी इच्छा पूरी करने का अधिकार है। उसने कहा, ‘‘कुछ देशों में कैदियों के संसर्ग अधिकार को मान्यता दी गई है। अगर कैदियों की संख्या अत्यधिक है तो सरकार को ऐसी समस्याओं के समाधान तलाशने चाहिए। संसर्ग से परिवार के साथ रिश्ते कामय रखने में मदद मिलती है, आपराधिक प्रवृत्ति कम होती है और प्रेरणा मिलती हैं। कैदियों में सुधार न्याय में दी गई सुधार व्यवस्था का हिस्सा है।’’
मौजूदा मामले में अदालत ने कहा कि प्राथमिक जांच में यह पता चला है कि कैदी परिवार बढ़ा सकता है । रिहा होने के बाद चिकित्सीय जांच के लिए दो सप्ताह की अतिरिक्त छुट्टी पर विचार किया जा सकता है। अदालत ने जेल अधिकारियों को इस संबंध में प्रक्रिया का पालन करने और कैदी के जेल से बाहर रहने के दौरान उसे सुरक्षा देने का निर्देश दिया।