भोपाल। देश के सबसे चर्चित व्यापमं घोटाला जिसमें MBBS सीटों की खुली बिक्री की गई और अवैध तरीके से अयोग्य छात्रों को MEDICAL COLLEGE में ADMISSION दिया गया, का खुलासा तो 2006 में ही हो गया था परंतु सरकार ने दबाए रखा। यदि सरकार 2006 SDM एसके उपाध्याय की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करती तो इस घोटाले का स्वरूप इतना बड़ा नहीं हो पाता जितना कि हो गया है। व्यापमं घोटाले की सबसे पहले शिकायत PEOPLES MEDICAL COLLEGE की हुई थी। अब कोर्ट में पीपुल्स ग्रुप के सुरेश विजयवर्गीय एवं उनकी बेटी रुचि विजयवर्गीय और तत्कालीन कलेक्टर रहे एसके मिश्रा को आरोपी बनाया गया है। मामले का खुलासा करते हुए न्यूज18/ईटीवी ने दावा किया है कि उसके पास इस जांच रिपोर्ट की एक्सक्लूसिव कॉपी मौजूद है। इसी कॉपी के आधार पर अब पूरा मामला जिला कोर्ट में गया है।
व्यापम घोटाले का खुलासा पुलिस ने 2013 में किया था। जिसमें करीब 2000 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस महाघोटाले का खुलासा 2006 में ही हो जाता यदि ऐसा होता, तो शायद ये घोटाला सात साल तक आगे नहीं बढ़ता, लेकिन जिम्मेदारों ने इस घोटाले को जानबूझकर बढ़ने दिया। भोपाल के निशातपुरा थाना क्षेत्र के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 2006-2007 में हुए एडमिशन के फर्जीवाड़े की शिकायत हुई थी। इस शिकायत पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के निर्देश पर संबंधित गोविंदपुरा संभाग के एसडीएम एसके उपाध्याय ने जांच की थी।
तत्कालीन एसडीएम की जांच रिपोर्ट
डीमैट परीक्षा की रेंक और पीसीबी में प्राप्त अंकों के प्रतिशत के कम में मेरिट लिस्ट तैयार की गई। प्रथम चरण में जिन 44 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया, उसमें मेरिट का पालन नहीं किया गया। मेरिट लिस्ट के अनुसार बिहार के दीपक सिंह को मेरिट सूची क्रमांक 1 पर प्रवेश नहीं दिया गया।
इसी तरह मेरिट सूची क्रमांक 3, 4, 6, 7, 15, 19, 24, 25, 28, 33, 35, 37, 39, 40, 42, 45, 46, 48, 50, 52 से 55, 59, 62, 65 से 70, 73 से 76, 78, 79, 81 से 84, 86, 88 से 90, 92 से 102, 104, 105 पर अंकित मेरिट अनुसार एडमिशन नहीं दिया गया। डीमैट की मेरिट लिस्ट में 182 आवेदनों की मूल प्रति पर क्रमांक कई बार काटे गए और सफेदा लगाकर बदले गए। एनआरआई कोटे में भी मेरिट का ध्यान नहीं रखा गया।
डीमैट परीक्षा के जरिए प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज 43 प्रतिशत सीटें भरते थे लेकिन 2015 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर डीमेट को बंद कर नीट के जरिए परीक्षा ली जा रही हैं। इसी तरह व्यापम की पीएमटी परीक्षा के जरिए 42 प्रतिशत सरकारी सीटें भरी जाती थी। बाकी के बची 15 प्रतिशत एनआरआई कोर्ट से सीटें भरी जाती थी।
तत्कालीन एसडीएम की जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि जब मेरिट में आए पात्र उम्मीदवारों से बातचीत की गई, तो उन्होंने फोन पर एसडीएम को बताया कि कॉलेज के द्वारा उन्हें ये कहकर एडमिशन नहीं दिया की, उनका नाम मेरिट के अनुसार प्रवेश की पात्रता में नहीं आता है। अब ये पूरा मामला जिला कोर्ट में चला गया है। इस मामले में पीपुल्स कॉलेज के डायरेक्टर बताए जा रहे सुरेश विजयवर्गीय, रूचि विजयवर्गीय और तत्कालीन कलेक्टर रहे एसके मिश्रा के खिलाफ आपराधिक परिवाद दायर किया है। कोर्ट ने परिवाद पर निशातपुरा थाना पुलिस से मामले की जांच रिपोर्ट दस मार्च तक मांगी है।