मकर संक्राति पर्व 14 जनवरी रविवार को है। इस दिन सूर्य मकर राशि में रात 8 बजकर 20 मिनट पर प्रवेश करेंगे। ज्योतिषाचार्य पं. कैलाश नारायण शर्मा शास्त्री ने बताया कि पर्व का पुण्यकाल 15 जनवरी दिन सोमवार को दोपहर 12.20 मिनट तक रहेगा। सामान्य पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा। श्री गर्ग मुनि के वचनों के अनुसार यदि सूर्य रात्रि के समय मकर राशि में प्रवेश करे तो पर्वकाल दूसरे दिन 15 जनवरी दिन सोमवार को मान्य होगा।
ऐसा रहेगा प्रभाव
मकर संक्राति से सूर्य की दिशा बदलने से अलग-अलग राशि के जातकों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। पं. शर्मा ने बताया कि मेष को धर्मलाभ, वृष को कष्टकारी, मिथुन को सम्मान, कर्क राशि के जातकों को भय, सिंह को ज्ञान वृद्धि, कन्या राशि को कलह, तुला को लाभ, वृश्चिक को संतोष, धनु को धनलाभ, मकर को हानि, कुंभ को लाभ एवं मीन को इष्ट सिद्धि प्राप्त होगी।
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्राति कहलाता है, इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, तप, जप और अनुष्ठान का अत्याधिक महत्व है। इस त्यौहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है, कहीं इसे मकर संक्राति कहते हैं तो कहीं पोंगल लेकिन तमाम मान्यताओं के बाद इस त्यौहार को मनाने के पीछे तर्क एक ही रहता है और वह है सूर्य की उपासना।
मान्यता है कि मकर संक्राति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ होती है, उत्तरायण में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। तिल-गुड़ से बने व्यंजनों और लड्डुओं का मंदिरों में भोग लगाकर दान करना पुण्यकारी होता है।