भोपाल। सीएम शिवराज सिंह की नर्मदा यात्रा और फिर एकात्म यात्रा, दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के बाद एक और दिग्गज सियासत और धर्म की जुगलबंदी से विरोधियों को मात देने की कोशिशों में लगा है। ये दिग्गज कोई और नहीं बल्कि प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती हैं। दरअसल प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती 28 जनवरी को छतरपुर में एक गैर-राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होंगी, जिसमें राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास उन्हें आशीर्वाद देंगे। इस कार्यक्रम को उमा भारती के संन्यास की दीक्षा के 25 साल पूरे होने पर आयोजित किया जा रहा है।
नवंबर 2017 में हो चुके हैं उमा की दीक्षा के 25 साल
गौरतलब है कि उमा भारती ने 17 नवंबर 1992 को कर्नाटक के श्रीकृष्ण मठ के पीठाधिपति संत श्री विश्वतीर्थ जी महाराज (श्री पेजावर स्वामी) से अमरकंटक में नर्मदा के उद्गम स्थल पर संन्यास की दीक्षा ली थी। हालांकि उमा भारती की दीक्षा के 25 साल नवंबर 2017 में ही हो गए थे, लेकिन इसका रजत जयंती कार्यक्रम 28 जनवरी को मनाया जा रहा है।
उमा का हो सकता है ये प्लान
यही वजह है कि उमा भारती की दीक्षा के रजत जयंती कार्यक्रम को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। एक तरफ ये अटकलें जोर पकड़ रही हैं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह के नेतृत्व में प्रदेश में बीजेपी कमजोर नज़र आ रही है जिसके लिए बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस भी चिंतित हैं। ऐसे में उमा भारती प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ाकर केंद्रीय नेतृत्व का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हैं कि 2003 के चुनावों की तरह 2018 का चुनाव भी उनके नेतृत्व में लड़कर बहुमत हासिल किया जा सकता है।
पुराने लोगों को साथ लाने में जुटीं उमा भारती
इन कयासों के पीछे इस धार्मिक कार्यक्रम के अलावा एक वजह ये भी है कि उमा भारती मध्यप्रदेश में अपने पुराने समर्थकों को जोड़ने की कोशिश में जुटी हुई हैं। पिछले दिनों उमा भारती ने अपने जबलपुर दौरे के दौरान अचानक प्रह्लाद पटेल के घर पहुंचकर सबको चौंका दिया था जबकि दोनों नेताओं के बीच का मनमुटाव जगजाहिर है। सूबे के सबसे ज्यादा रसूख रखने वाले नेताओं के बीच धार्मिक यात्राओं और धार्मिक आयोजनों की होड़ के चाहें कुछ भी मायने हों, लेकिन सियासतदांओं का कोई भी कदम गैर-सियासी हो ऐसा होना आसान नहीं।