अशोकनगर। मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार मुंगावली एवं कोलारस उपचुनाव की तैयारियों में पूरी तरह से संवेदनशील नजर आ रही है परंतु इसका एक और चेहरा (INSENSITIVE) भी सामने आ रहा है। बेलई गांव के पास एक जबर्दस्त ROAD ACCIDENT में 3 लोग घायल हो गए। वो (INJURED) सड़क पर तड़प रहे थे कि तभी राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त अनुसूचित जाति राज्य वित्त निगम के उपाध्यक्ष भुजबल सिंह वहां से गुजरे। उन्होंने घायलों की मदद के लिए रुकने के बजाए तेजी से सायरन बजाया और निकल गए। बाद में BHUJBAL SNIGH ने कहा कि ऐसे मौकों पर भीड़ आक्रोशित होती है अत: रुकना उचित नहीं।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, CAR और BIKE के बीच आमने सामने की भिड़ंत हुई। बाइक, कार के ऊपर से करीब 20 फीट दूर जाकर गिरी। दुर्घटना के बाद कार में सवार दो लोग भाग निकले। जिस कार ने बाइक को टक्कर मारी उसका नंबर एमपी 04 सीएस 3254 है जो भोपाल की है।
उपाध्यक्ष बोले- हाथ में डंडे और लाठी लेकर खड़े थे लोग
जब राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त BHUJBAL SINGH से वाहन नहीं रोकने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वे रुकना चाहते थे लेकिन मौके पर लाठी और हाथों में पत्थर लेकर लोग खड़े थे। कहीं आक्रोशित लोगों का रोष उन पर न हो इसलिए उन्होंने वाहन आगे निकलते ही तुरंत एसपी तिलक सिंह को फोन लगाकर वहां हेल्प भेजने के लिए निर्देशित किया। सिंह ने बताया कि ऐसे समय में लोगों का आक्रोश प्रशासन के खिलाफ रहता है इसलिए उन्होंने वहां रुकना उचित नहीं समझा।
झूठ बोल रहे हैं उपाध्यक्ष: पब्लिक ने कहा
दुर्घटना के समय मौके से अपने बेटे को बीना छोड़ने जा रहे मुकेश कुमार ने बताया कि वहां ऐसी कोई कंडिशन नहीं थी। जो लोग खड़े थे वे आक्रोशित न होते हुए घायलों की मदद कर रहे थे। मंत्रीजी रुकना ही नहीं चाहते थे।
डॉक्टर रुके, सड़क पर ही इलाज किया
इस हादसे में जहां मंत्री, पब्लिक पर हिंसा का आरोप लगाते हुए निकल गए वहीं एलटीटी शिविर से लौट रहे जिला अस्पताल के सर्जन डाॅ. डीके भार्गव ने हादसे में घायल 1 बच्चे को बचाने के लिए पंपिंग की और अपनी गाड़ी को पास के हेल्थ सेंटर पर दवाएं लेने भेज दिया। इससे पहले की गाड़ी दवाएं लेकर वापस आती जब तक बच्चे की मौत हो गई थी। 27 साल के दशरथ अहिरवार और 25 साल के कुंदन प्रजापति को सीरियस कंडिशन में हॉस्पिटल में एडमिट कराया। मृतक बच्चे की अब तक पहचान नहीं हो सकी है।
सड़क पर ही शुरू कर दिया इलाज
मौके पर पहुंचे डॉक्टर भार्गव सहित उनके स्टॉफ नर्स ने अथाईखेड़ा से दवाएं और बोतल आते ही सड़क पर इलाज शुरू कर दिया। इस दौरान घायलों को इंजेक्शन और बोतल लगाकर 108 से रवाना कर खुद भी हॉस्पिटल पहुंचे। वहीं मौके पर अधिक गंभीर बालक को करीब 5 मिनट तक सीने के ऊपर पंप भी किया लेकिन बालक को नहीं बचा सके।