350 करोड़ रुपए खर्च फिर भी बढ़ने के बजाए 60 वर्गकिमी घट गई हरियाली | MP NEWS

भोपाल। ये मप्र का हरियाली घोटाला (MP GREENERY SCAM) है। आप इसे पौधारोपण घोटाला (MP PLANTATION SCAM) भी कह सकते हैं। पिछले 5 साल में MP GOVERNMENT ने पौधारोपण पर 350 करोड़ रुपए खर्च किए परंतु मप्र में हरियाली बढ़ने के बजाए 60 SQ KM घट गई। यह खुलासा भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान की सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट ने सरकार की मंशा और MP FOREST DEPARMENT के जिम्मेदारों पर सवाल खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट से पता चला है कि वर्ष 2013 और 2017 के बीच प्रदेश में 60 वर्ग किमी हरियाली घटी है। जबकि पौधरोपण पर हर साल औसतन 60 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस हिसाब से पांच साल में 350 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी हरियाली नहीं बढ़ी है। पांच सालों में प्रदेश में 40 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं, लेकिन 20 करोड़ भी जिंदा नहीं बचे हैं। वन विभाग के पास जीवित बचे पौधों का ठीक-ठीक आंकड़ा तक नहीं है।  इस साल 8 करोड़ 25 लाख पौधे लगाए गए हैं।

कहां गए नर्मदा कैमचेंट के पौधे
पिछले दिनों सात करोड़ पौधे नर्मदा कैचमेंट के 16 जिलों में रोपने का दावा किया गया था।  विभाग के सूत्र बताते हैं कि इनमें से 20 फीसदी से ज्यादा पौधे नष्ट हो गए हैं। लिहाजा विभाग ने सभी मैदानी वन अफसरों को पौधों की सुरक्षा करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि देश में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे ज्यादा 77 हजार 462 वर्ग किमी वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है।

नई रिपोर्ट में भी स्थिति खराब
देश में हरियाली की स्थिति पर भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान ने नई रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसमें प्रदेश की स्थिति फिर खराब बताई जा रही है। संस्थान ने प्रारंभिक रिपोर्ट वन विभाग को भेजकर आकलन करने को कहा है। विभाग की टीप के बाद संस्थान इसे जारी करेगा। संस्थान हर दो साल में सर्वे करता है। वर्ष 2015 के बाद इस साल फिर सर्वे कराया गया है।

आदिवासी बहुल इलाकों की घटी हरियाली
हैरत की बात है कि प्रदेश में 60 वर्ग किमी हरियाली घटी है और ये वन क्षेत्र आदिवासी बहुल 18 जिलों में आता है। संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है। इस हिसाब से आदिवासी बहुल इलाकों में जंगलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वन अधिकार कानून आने के बाद पेड़ों की कटाई में तेजी आई है। वहीं अतिक्रमण भी बढ़ा है।

कब-        कितने पौधे लगाए      
2013-14     878.79 लाख
2014-15     866.87 लाख
2015-        16640.00 लाख
2016-        17810.00 लाख
  1. 2017-        18 825.00 लाख

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