
गोविन्दपुरा नजूल सर्किल के अंतर्गत आने वाले इस इलाके में जमीन की हेराफेरी का खुलासा होने के बाद विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए हैं। गोविन्दपुरा नजूल सर्किंल में हथाईखेड़ा राजस्व ग्राम है जिसका पटवारी हल्का क्रमांक-20 है। इसी राजस्व गांव का एक हिस्सा आनंद नगर है जो अब शहर का महत्वपूर्ण इलाका है। सूत्रों का कहना है कि इस ग्राम के खसरा नम्बर 159 और 132/1 की जमीन राजस्व रिकार्ड में वर्ष 1959 में छोटा जंगल के नाम पर दर्ज थी। इस जमीन को ही खुर्द बुर्द किया गया है।
हथाईखेड़ा का पूर्व सरपंच भी निशाने पर
आनंद नगर कभी राजस्व ग्राम नहीं रहा पर हथाईखेड़ा के पूर्व सरपंच जमना प्रसाद और कुछ अन्य लोगों ने छोटा जंगल की जमीन को पट्टे के रूप में बांट दिया था। यह पट्टे प्रकरण क्रमांक-6/14 नवम्बर 1972 की तारीख में बांटे गए और जंगल की इस जमीन को आबादी भूमि घोषित कर दिया गया। इन पट्टों को वन विभाग ने जांचने के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। वन विभाग चाहता है कि जंगलों की जमीन विभाग को वापस मिले ताकि उस पर पहले की तरह ही जंगल विकसित किए जाएं।
खेल 382 करोड़ का
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जंगल की जमीन को किसी को नहीं दिया जा सकता। सरकार कोई प्रोजेक्ट लाती है तो बदले में चार गुना जंगल दूसरी जमीन पर विकसित करना जरूरी है पर इस मामले में ऐसा नहीं किया गया है। जांच के घेरे में में आई फर्जी पट्टे की जमीन में छोटा जंगल की भूमि 27 एकड़ व तीन एकड़ निजी व्यक्तियों के नाम की है। इससे पहले गोविन्दपुरा नजूल में एसएलआर राकेश शर्मा ने इसकी जांच की थी लेकिन उसके बाद कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पायी। मौजूदा कलेक्टर गाइड लाइन को आधार मानें तो फर्जी पट्टे के रूप में जिस जमीन को बांटने की बात कही जा रही है, उसकी व्यावसायिक दरके आधार पर कीमत 382 करोड़ 42 लाख रुपए होती है। दरअसल आनंद नगर में व्यावसायिक भूमि का मूल्य 31500 रुपए प्रतिवर्गमीटर के करीब है। इसके विपरीत यहां आवासीय भूमि की कीमत 21000 रुपए प्रतिवर्गमीटर है, जिसके हिसाब से 30 एकड़ जमीन का मूल्य 254 करोड़ रुपए से अधिक है जो वन विभाग की थी लेकिन लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया। अब इसकी नए सिरे से जांच होगी।