नई दिल्ली। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन बुलाया। ये चार जज हैं- जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ़। उन्होंने अपनी समस्याएं सामने रखीं। इसके बाद देश भर में विवाद शुरू हो गया है। लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को इस तरह जनता के बीच नहीं आना चाहिए था तो दूसरी और कुछ दिग्गज उनके समर्थन में उतर आए हैं।
अपने आवास पर आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के नंबर दो जस्टिस जे चेलमेश्वर ने कहा, "हम चारों इस बात पर सहमत हैं कि इस संस्थान को बचाया नहीं गया तो इस देश में या किसी भी देश में लोकतंत्र ज़िंदा नहीं रह पाएगा। स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका अच्छे लोकतंत्र की निशानी है। चूंकि हमारे सभी प्रयास बेकार हो गए, यहां तक कि आज सुबह भी हम चारों जाकर चीफ़ जस्टिस से मिले, उनसे आग्रह किया लेकिन हम अपनी बात पर उन्हें सहमत नहीं करा सके। इसके बाद हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा कि हम देश को बताएं कि न्यायपालिका की देखभाल करें।
मैं नहीं चाहता कि 20 साल बाद इस देश का कोई बुद्धिमान व्यक्ति ये कहे कि चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ़ ने अपनी आत्मा बेच दी है। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि वे मजबूर होकर मीडिया के सामने आए हैं। से ये पूछने पर कि क्या आप मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ महाभियोग चलाना चाहते हैं, जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि 'ये देश को तय करना है।
इसी साल अक्तूबर में मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मिश्र की जगह लेने जा रहे जस्टिस गोगोई ने कहा, "ये देश का कर्ज़ था जो हमने चुकाया है। यह पूछे जाने पर कि वो क्या मुद्दे थे, जिस पर चीफ़ जस्टिस से उनके मतभेद थे, जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, "इसमें मुख्य न्यायाधीश का कुछ मामलों की सुनवाई को जजों को सौंपना भी शामिल था।
उन्होंने क्या कहा
देश का लोकतंत्र खतरे में है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है।
करीब दो महीने पहले हम चारों जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और उनसे मुलाकात की।
हमने उनसे बताया कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है।
बीते कुछ महीनों से काफी गलत चीजें हो रही हैं।
सीजेआई से अनियमितताओं पर बात की थी। कई गड़बड़ियों की शिकायत की।
न्यायपालिका की निष्ठा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन सीजेआई ने कोई कार्रवाई नहीं की।
चेलमेश्वर ने कहा कि हमारे पत्र पर अब राष्ट्र को विचार करना है कि सीजेआई के खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए या नहीं।