नई दिल्ली। लोगों को विभिन्न दायरों में लाकर फ्री सुविधाएं मुहैया कराने वाली योजनाओं ने लैटिन अमेरिका के सबसे संपन्न देश वेनेजुएला दुनिया का सबसे बदतर देश बन गया है। हालात इतने ज्यादा खराब हैं कि लोगों को प्रतिदिन भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है। पोषण की तो यहां मांग ही नहीं होती। पिछले एक साल में इस देश के नागरिकों का औसत वजन 9 किलो घट गया है और यहां प्रतिव्यक्ति मासिक औसत आय भारतीय मुद्रा में 450 रुपए रह गई है।
बता दें कि इस देश की 80% इकोनॉमी क्रूड ऑयल पर निर्भर थी। इस देश की सरकार की कमाई उम्मीदों से कहीं ज्यादा थी। चुनाव जीतने के लिए सरकारों ने वर्षों पहले फ्री वाली योजनाओं की शुरूआत की। एक के बाद एक फ्री वाली योजनाएं शुरू की गईं। धीरे धीरे खर्च बढ़ता गया और आय का साधन सिर्फ क्रूड ऑयल ही था। फ्री वाली योजनाओं के कारण लोगों ने काम करना बंद कर दिया। इस देश का जो मिडिल क्लास था, फ्री वाली योजनाओं की पात्रता प्राप्त करने के लिए लोगों ने नौकरियां छोड़ीं और लोअर क्लास में शामिल हो गए। क्योंकि सरकारी योजनाओं के तहत अच्छी गुणवत्ता का भोजन और आवास तो सरकार दे ही रही थी। और अब उन्हे काम करने की आदत ही नहीं रही।
इधर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले दिनों क्रूड ऑयल की कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की गई। इसी के चलते वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। यहां अब सरकार के पास जनता को देने के लिए कुछ भी नहीं बचा है और आम जनता के पास भी कोई बचत नहीं है, क्योंकि यहां के ज्यादातर लोग फ्री वाली योजनाओं पर निर्भर थे। सरकार अभी भी लोगों को खाने के फ्री कूपन दे रही है परंतु इन कूपनों के बदले दुकानदार लोगों को फ्री में भोजन नहीं दे रहे। 200 सुपर मार्केट ने सरकार के कूपन मानने से इंकार कर दिया है। लोग पेट भरने के लिए हत्याएं तक करने लगे हैं।