मनोज तिवारी/भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अध्यापकों को शिक्षा विभाग में मर्ज करने का ऐलान तो कर दिया परंतु संविलियन (MERGER) की प्रक्रिया काफी लम्बी है और इसे तेजी से भी पूरा किया जाए तो कम से कम 6 माह का वक्त लगेगा। सूत्र बताते हैं कि घोषणा के आधार पर सबसे पहले अध्यापकों का SCHOOL EDUCATION DEPARTMENT में संविलियन करने का प्रस्ताव बनेगा। अध्यापकों को आर्थिक और अन्य लाभ देने में आने वाले खर्च का ब्योरा तैयार होगा। फिर संबंधित विभाग प्रस्ताव (PROPOSAL) का परीक्षण करेंगे। परीक्षण (EXAMINATION) के बाद प्रस्ताव कैबिनेट जाएगा और फिर निर्णय होगा। तब कहीं संविलियन की नीति (MERGER POLICY) बनेगी और फिर आदेश जारी होंगे।
आदेश के साथ ही मिलेगा 7वां वेतनमान का लाभ
इससे उन्हें सातवां वेतनमान मिलने का रास्ता साफ हो गया है। यानी वेतन में फिर 32 सौ से आठ हजार रुपए की वृद्धि होगी। वहीं अन्य लाभ भी मिलेंगे। इससे सरकारी खजाने पर करीब 450 करोड़ रुपए भार पड़ेगा। प्रदेश के दो लाख 84 हजार अध्यापक अभी नगरीय निकाय और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारी हैं। संविलियन के बाद वे स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारी कहलाएंगे। मूल विभाग में होने के कारण पढ़ाई और कार्रवाई आसान हो जाएगी। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि संविलियन कब से माना जाएगा और उसकी शर्तें क्या होंगी। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में नियमित शिक्षक (व्याख्याता, उच्च श्रेणी शिक्षक और सहायक शिक्षक) को 52 हजार से 70 हजार रुपए महीने तक वेतन मिल रहा है।
दस साल में किए आठ पड़ाव पार
2007--अध्यापक संवर्ग बना।
2008--महिलाओं के निकाय परिवर्तन की मांग पूरी हुई।
2011--अंशदायी पेंशन योजना का लाभ मिला।
2012--पहली बार पदोन्नति दी गई।
2013--वेतनमान के नए स्लैब तय हुए।
2014--शर्तों के साथ पुरुष अध्यापकों के तबादले शुरू।
2016--छठवें वेतनमान का लाभ दिया गया।
2017--शिक्षा विभाग में संविलियन का निर्णय।