आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिले की कटंगी तहसील के सेलवा ग्राम से प्रवाहित हो रही चंदन नदी में पिछले 6 साल से हो रहे अवैध उत्खनन का मामला सामने आया है। शिकायत में बताया गया कि अधिकारियों ने नक्शे में नदी का रूट बदल दिया। कंपनी को उत्खनन का लाइसेंस दे दिया गया और मेसर्स मेटल एण्ड मिनल्स कंपनी 6 साल तक धड़ल्ले से उत्खनन करती रही। मामला जब एनजीटी भोपाल में आया तो उत्खनन पर रोक लगा दी गई लेकिन सवाल यह है कि 6 साल तक हुए अवैध उत्खनन की परमिशन देने वाले अधिकारियों और इस खेल में शामिल कंपनी संचालक के खिलाफ कार्रवाई कब होगी।
एनजीटी की भोपाल बेंच ने याचिकाकर्ता शैलेन्द्र जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुये रोक लगाने का निर्णय दिया है। मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ट अधिवक्ता प्रशांत हरणे एवं के.पी. श्रीवास्तव ने बताया की मेसर्स मेटल एण्ड मिनल्स कंपनी द्वारा पिछले 6 वर्षो से सेलवा ग्राम में चंदन नदी से अवैध उत्खनन किया जा रहा था। इस मामले को लेकर शैलेन्द्र जैन द्वारा पिछले 6 साल कानूनी लडाई लडी जा रही थी उन्ही की याचिका पर एनजीटी ने चंदन में हो रहे अवैध उत्खनन पर रोक लगाने की आदेश जारी किये है।
सुनवाई के दौरान यह तथ्य प्रकाश में लाया गया है कि खनिज विभाग के अधिकारियों के सरक्षण में यह अवैध उत्खनन का काम किया जा रहा है जिससे शासन को करोडों रूपयों की राजस्व की हानि हुई है तथा जिसके लिये अधिकारियों की मिलीभगत के चलते शासकीय दस्तावेजों में भी हेराफेरी की गई है।
यह उल्लेखनीय है कि चंदन नदी से मैगनीज निकालने के लिये रायपुर के महेश मिश्रा ने 2004 में आवेदन किया था लेकिन शासन ने गौण खनिज अधिनियम 1996 का हवाला देते हुये उनके आवेदन पर कोई विचार नही किया क्योकि राजस्व रिकार्ड में जिस भूमि पर उन्होने खनन करने की अनुमति मांगी थी वहां शासकीय दस्तावेजों नदी अंकित थी और गौण खनिज अधिनियम 1996 के तहत नदी के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार के उत्खनन की अनुमति नही दी जा सकती। इसके बावजूद उन्होने खनिज विभाग एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ सांठगांठ करते हुये शासकीय दस्तावेजों मे हेराफेरी करवाई। जिसमे नक्शे मे भी फेरबदल किया गया इस मामले में जब याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो इसका खुलासा हुआ।
याचिकाकर्ता शैलेन्द जैन ने अवगत कराया की मेटल एण्ड मिनरल्स ने रायपुर के महेश मिश्रा से उत्खनन का यह काम लिया था। वर्ष 2015 में जिला पंचायत सदस्य शंकरलाल ताण्डेकर की शिकायत पर तहसीलदार द्वारा जांच कराई गई जिससे उन्होने बताया की खसरा क्रमांक 150/1,150/2,150/3,150/4,150/5 में से 4.906 हेक्टर के स्थान पर 150/1 उल्लेखित किया गया है जांच के दौरान तहसीलदार ने जब उनसे दस्तावेज मांगे तो उनकी ओर से दस्तावेज प्रस्तुत ही नही किये गये।
इस पर शासन ने कंपनी द्वारा उत्खनन किये गये 400 टन मैगनीज का परिवहन प्रतिबधित कर दिया था। इतना ही नही कंपनी ने यह उत्खनन करते हुये नदी के मूल स्वरूप को ही बदल दिया और कृत्रिम नाले का निर्माण कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुये एनजीटी ने इस पर रोक लगा दी है।
इस मामले का खुलासा होने के बाद यह तथ्य उजागर हो गया है कि बालाघाट जिले में खनिज माफिया और अधिकारियों की सांठगांठ के चलते प्राकृतिक संसाधनों का अवैध उत्खनन कर सरकारी खजाने को करोडों रूपये की क्षति पहुचाई जा रही है और प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन किया जा रहा है।