भोपाल। कमजोर कांग्रेस और मनमानी पर उतारू शिवराज सिंह सरकार के कारण मप्र में पेट्रोल के दाम 80 के पार निकल गए। पिछले 7 माह में यहां पेट्रोल पर 8 रुपए का इजाफा हुआ है। यह देश का अकेला ऐसा प्रदेश है जहां पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है और विपक्ष में बैठी कांग्रेस गुटबाजी में उलझी हुई है। मध्यप्रदेश के विन्ध्य क्षेत्र खासतौर पर रीवा और शहडोल में सबसे अधिक 80.30 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल और 69.12 रुपए प्रति लीटर डीजल आज की स्थिति में बिक रहा है। जबकि अधिकांश शहरों में 80 रुपए है।
अब तक सबसे महंगा
राज्य सरकार द्वारा सड़कों के विकास के नाम पर लगाए गए सेस के चलते भोपाल में भी पेट्रोल के दाम अब तक के इतिहास में सर्वाधिक 78.63 रुपए तक पहुंच गए हैं। आज रात से भोपाल में पेट्रोल 86 पैसे महंगा हो गया है। पेट्रोल और डीजल को आमदनी का जरिया बना चुकी राज्य सरकार ने 13 अक्टूबर को पेट्रोल पर 3 प्रतिशत और डीजल पर 5 प्रतिशत वैट घटाया था। साथ ही डीजल पर लिए जाने वाले 1.50 रुपए के अतिरिक्त कर को भी वापस ले लिया था तो पेट्रोल व डीजल के दामों में चार रुपए तक की कमी आई थी।
अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और केंद्र सरकार द्वारा रोज इसके दामों में की जा रही वृद्धि के बाद यह राहत ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई। इस बीच चार माह बाद राज्य सरकार ने अब फिर पेट्रोल और डीजल पर अलग से सेस (उपकर) लगाकर पेट्रोल और डीजल महंगा कर दिया है।
डीरेग्युलेशन के बाद:
पेट्रोल और डीजल के दामों में रोज वृद्धि करने का फार्मूला केंद्र सरकार ने 16 जून 2017 से लागू किया है। इसके बाद 18 जून को भोपाल में पेट्रोल 72.18 रुपए था जो अब 78.63 हो गया और डीजल 61.59 रुपए प्रति लीटर था जो अब 8 रुपए के उछाल के साथ 69.01 रुपए हो गया है।
सबसे महंगा पेट्रोल प्रदेश के अनूपपुर जिले में
जिला पेट्रोल डीजल
अनूपपुर 80.35 69.18
रीवा 80.30 69.12
खरगौन 79.35 68.23
बड़वानी 79.63 68.49
बालाघाट 80.15 6899
शहडोल 80.15 68.98
छिंदवाड़ा 80.01 68.84
धार 79.29 68.16
सतना 79.75 68.58
दमोह 79.13 67.99
चार साल में सरकारों ने काटी चांदी
पिछले चार साल में केंद्र एवं राज्य, दोनों सरकारों ने पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स से मोटी रकम जुटाई है। 2013-14 में केंद्र सरकार को पेट्रोलियम पर टैक्स से 1.1 लाख करोड़ रुपए की आमदनी हुई जिनमें 0.8 लाख करोड़ सब्सिडीज समेत अन्य मदों में खर्च हुए। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों से 30,000 हजार करोड़ रुपए की शुद्ध बचत हुई जो साल 2016-17 में बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रुपए हो गई।