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मालूम हो कि शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर अध्यापक लंबे समय से संघर्ष करते आ रहे थे लेकिन उनकी मांग पर विचार नहीं किया जा रहा था। इसी मांग को लेकर 13 जनवरी को भोपाल में आयोजित धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में महिलाओं ने मुंडन कराया था। इससे अध्यापक वर्ग में आक्रोश बना हुआ था। रविवार को विदिशा में आजाद अध्यापक संघ ने केश त्याग करने वाली अध्यापक रेणु सागर के सम्मान में मौन जुलूस और सम्मान का कार्यक्रम रखा था। दोपहर में बड़ी संख्या में अध्यापक एडीएम बंगले के सामने मौन धरने पर बैठे। इसके बाद रैली के रूप में शहीद ज्योति स्तंभ पहुंचे। यहां पर पुष्प अर्पित किए गए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेणु सागर ने कहा कि मुंडन कराने का विचार अचानक नहीं आया। जब हमने देखा कि हमारी कोई पहचान ही नहीं है और सरकार 14 साल से मूर्ख बना रही है। इसलिए यह कदम उठाना पड़ा। अब सरकार आंदोलन को दबाने के लिए मुंडन कराने वाले अध्यापकों पर कार्रवाई करने फरमान निकाल रही है लेकिन आज सात अध्यापकों ने आदेश के खिलाफ मुंडन कराया है। यह सरकार को चेतावनी है।
आदेश के खिलाफ कराया मुंडन
दोपहर में आदेश का खुला विरोध करते हुए सिरोंज से आए अध्यापक अब्दुल गफूर ने मुंडन कराने का ऐलान किया। उन्होने कहा कि इस तरह के आदेश निकालकर सरकार हमें डरा नहीं सकती। मैं सरकार को खुला चैंलेज करता हूं। मैने मुंडन कराया है। सरकार मुझ पर कार्यवाही करे। इसके बाद एक-एक करके सात अध्यापकों ने सरकार के आदेश के खिलाफ मुखर होकर शहीद ज्योति स्तंभ पर मुंडन कराए। मुंडन कराने बालों में महेन्द्र तिवारी, शैलेन्द्र कटारे, प्रमोद दुबे, मोहन घावरी, विजय श्रीवास्तव, ज्ञानसिंह ने मुंडन कराया। इधर शाम को अध्यापकों की मांगे मानने के बाद उन्होंने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी।