आदरणीय संपादकजी, भोपाल समाचार ने सदैव अध्यापकों की समस्यों को प्राथमिता के आधार पर उठाया है। इसके लिए अध्यापक वर्ग आपका ह्र्दयतल से आभारी हैं। कल ही हमारे एक विकलांग साथी ने अपनी समस्या (ट्रांसफर नीति में विकलांग को बंधनमुक्त) आपके सम्मुख रखीं ओर संपादक महोदय ने उसे प्रकाशित कर मुद्दे को अपनी आवाज बना दी। ट्रांसफर नीति की विसंगति का बिंदुवार विश्लेषण पर भी आदरणीय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।
1) ट्रांसफर नीति पूर्णता भाग्य पर आधारित है जैसे संयोग या प्रबल भाग्य के चलते कुछ अध्यापक 3 और 4 शिक्षकीय शाला में पदस्थ हो गये वह ट्रांसफर के पात्र हैं और दुर्भाग्यवश कुछ अध्यापक दो और तीन शिक्षकीय शाला में पदस्थ है तो वह अपात्र हैं चाहे वह कितने ही वरिष्ठ क्यों ना हों।
2) ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी वाली कहावत चरितार्थ करती ट्रांसफर नीति। 2 शिक्षक की शाला में न कभी तीसरा पद स्वीकृत होगा ना कभी तीसरा शिक्षक आएगा। यानी कभी भी ट्रांसफर नहीं होगा। जैसे कोई कहे कि एक जिला में दो कलेक्टर होगे तब एक कलेक्टर का ट्रांसफर होगा। क्या यह कभी संभव है।
3) हाई स्कूल और हायर सेकंडरी में बंधन मुक्त ट्रांसफर नीति जबकि प्राथमिक और माध्यमिक में आरटीई का हवाला देकर जबरन शिक्षक को रोका गया।
4) अगर सरकार को छात्रों की पढ़ाई की चिंता है तो फिर बरसों से रिक्त पद क्यों नहीं भरे गए सिर्फ ट्रांसफर के नाम पर ही पढ़ाई प्रभावित होने का ढकोसला क्यों?
4) चुनावी लाभ लेने के लिए वर्ग विशेष को B.Ed B.Ed की छूट देना और ट्रांसफर के नाम पर rte का हवाला देना यही दोहरी मानसिकता है।
5) अनेक पद पदोन्नति के लिए रखे गए जिनमें ट्रांसफर नहीं होगा। यह नहीं सोचा कि हर जिले से ट्रांसफर होगा 1 जिले से दूसरे जिले में अध्यापक जाएंगे तो फिर उन अध्यापकों के खाली हुए पदों पर पदोन्नति कर सकते हैं। अभी इन पदों को रोककर ट्रांसफर के लिए पद कम करना अमानवीय निर्णय।
6) जब संविदा शिक्षक भर्ती करना है तो फिर बंधन मुक्त ट्रांसफर कर दो जो भी पद खाली होंगे उन पर नए शिक्षकों की भर्ती हो जाएगी पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होगी।
7) अगर पढ़ाई की चिंता है तो फिर किसी के भी ट्रांसफर मत करिए क्योंकि छात्रों के हिसाब से शिक्षक पदस्थ है। जिस शाला से भी ट्रांसफर होगा उसमें निश्चित तौर पर पढ़ाई प्रभावित होगी चाहे 3 शिक्षकीय हो या फिर चार शिक्षकीय।
8) सभी रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। एक जिले का शिक्षक दूसरे जिले में ट्रांसफर कराकर जाएगा तो उसकी जगह पर अतिथि शिक्षक रख लिया जाएगा और स्थानांतरित शिक्षक के आने पर दूसरे जिले का अतिथि शिक्षक हटा दिया जाएगा फिर ट्रांसफर करने में आपत्ति क्या?
9) पति-पत्नी सामाजिक जीवन की डोर है। उनका वैवाहिक जीवन ट्रांसफर के अभाव में नष्ट हो रहा है। इसलिए पति-पत्नी समायोजन एक ब्लॉक की सीमा में होना चाहिए।
10) केंद्र सरकार राज्य सरकार महिला और दिव्यांगों के हित में अनेक योजनाएं चला रही है। महिलाओं के हित के लिए तीन तलाक पर पाबंदी की है। तो फिर अध्यापक महिलाओं को तलाक जैसा जीवन जीने पर क्यों मजबूर किया जा रहा है। तथा महिलाओं दिव्यांग अध्यापकों की मुख्य समस्या बंधन मुक्त ट्रांसफर नीति क्यों लागू नहीं की जा रही हो। यह दोहरा कानून क्यों?
11) मध्यप्रदेश जैसे ट्रांसफर के नियम पूरे भारत में नहीं है। फिर आप लीक से हटकर नियम क्यों बनाते हैं। क्या सिर्फ अध्यापक को परेशान करने के लिए?
कौन देगा इन सवालों के जवाब अध्यापक नेता, ट्रांसफर नीति बनाने वाले अधिकारी या फिर मध्यप्रदेश शासन की मुखिया। हमें जवाब चाहिए...।
भवदीय
अभिषेक तिवारी