
1- छुट्टी में जाते ही पद भी जाएगा
चाइल्ड केयर लीव का आवेदन यदि मंजूर हो गया तो संबंधी महिला अध्यापक के अवकाश पर जाते ही स्कूल में उनका पद खाली माना जाएगा। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए उस पद पर दूसरे अध्यापक या अतिथि शिक्षक की नियुक्ति कर दी जाएगी। संबंधित महिला अध्यापक के अवकाश से वापस लौटने पर उनकी पदस्थापना खाली पद वाले दूसरे स्कूल में की जाएगी।
2- तीन बार ले सकेंगे अवकाश
महिला अध्यापकों को एक कैलेंडर वर्ष यानी एक साल में 3 बार ही अवकाश लेने की पात्रता होगी। यदि चाइल्ड केयर लीव के तहत आवेदन दिया और एक दिन का अवकाश भी लिया तो उसे भी गिना जाएगा। फिर इसके बाद अध्यापकों को सिर्फ दो बार आवेदन करने की पात्रता होगी।
3- तीन माह पहले करना होगा आवेदन
छुट्टी के लिए महिला अध्यापकों को 90 दिन यानी 3 महीने पहले आवेदन करना होगा। तभी अवकाश स्वीकृत होगा। हालांकि आकस्मिक गंभीर अवस्था, दुर्घटना होने पर प्राचार्य व सक्षम अधिकारी अवकाश की मंजूरी दे सकेंगे।
4- दो से ज्यादा बच्चे तो नहीं मिलेगा अवकाश
यदि 2 से ज्यादा जीवित संतान हैं, तो महिला अध्यापकों को अवकाश नहीं मिलेगा। योजना के तहत दो जीवित संतान होने पर ही अवकाश की पात्रता होगी। महिला अध्यापक संतान की 18 वर्ष की उम्र तक अवकाश ले सकेंगी।
5- प्रिंसिपल के हाथों में छुट्टी की डोर
अवकाश देना या न देना ये प्रिंसिपल के हाथ में होगा। प्रिंसिपल को ये अधिकार रहेंगे कि संबंधित महिला अध्यापक के अवकाश पर जाने से स्कूल में शैक्षणिक कार्य व पढ़ाई प्रभावित न हो। जिस स्कूल में एक या दो अध्यापक हैं तो उन्हें अवकाश लेने में दिक्कत हो सकती है।
अवकाश में नियम-शर्तें ऐसी जोड़ी गई हैं कि अध्यापक अपना स्कूल छूटने के डर से लंबी छुट्टी नहीं ले पाएंगी। उनके अवकाश पर जाते ही पद भी हाथ से चला जाएगा। नियमों में थोड़ी शिथिलता होनी चाहिए।
अर्चना शर्मा, जिला अध्यक्ष, महिला मोर्चा राज्य अध्यापक संघ
कुछ शर्तें ऐसी हैं कि ज्यादातर महिला अध्यापकों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। प्रिंसिपल चाहेंगे तो ही अवकाश मिल पाएगा।
मुकेश सिंह, प्रांतीय संयोजक अध्यापक प्रकोष्ठ