
बेंगलुरु में एक निजी कंपनी में बतौर सीईओ काम कर रही 31 साल की एक युवती को मां बनने की फिक्र तो है, लेकिन पहले करियर बनाना है। इसी वजह से अभी तक शादी नहीं की है। देर से शादी के बाद गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है। संतानहीनता की भी आशंका है। लिहाजा, उसने पहले से ही अपने अंडाणु निकलवाकर इंदौर के एक आईवीएफ सेंटर के बैंक में सुरक्षित रखवा दिए हैं।
देश भर में 2500 IVF सेंटर्स
यह कोई इकलौता मामला नहीं है। कई पेशेवर युवा स्पर्म और अंडाणु सहेज कर रख रहे हैं, ताकि उम्र अधिक होने से माता-पिता बनने में दिक्कत न आए। देशभर में करीब ढाई हजार आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटर हैं। उनमें से करीब 2 हजार स्पर्म और अंडे को सुरक्षित रखने के लिए बैंक का काम भी कर रहे हैं।
इंडियन सोसायटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन (Indian Society For Assisted Reproduction: ISAR) के चेयरपर्सन वीरेंद्र वी शाह ने बताया कि उनके सेंटर में अब तक करीब 28 युवा स्पर्म और अंडाणु सुरक्षित रख चुके हैं। ये आंकड़े पिछले 3 साल के हैं। स्पर्म व अंडाणु सुरक्षित रखवाने वालों में मॉडलिंग करने वाले युवा भी हैं, जो फिलहाल शादी नहीं करना चाहते। इसी तरह से भ्रूण (एंब्रियो) बैंकिंग भी की जा रही है। एंब्रियो बैंकिंग वे दंपती करा रहे हैं जिन्हें संतान नहीं हैं।
कितना किराया लगता है
SPERM BANKING में 10 हजार रु. प्रति साल। अधिकतम 25 साल तक रख सकते हैं।
EGG (अंडाणु) BANKING में तीन साल के लिए डेढ़ लाख रु.। बाद में हर महीने 1-2 हजार रु.। 25 साल तक रख सकते हैं। इस तकनीक को विक्ट्रीफिकेशन कहते हैं।
कैंसर मरीज भी करा रहे बैंकिंग
डॉ. वीरेंद्र के मुताबिक उनके पास ऐसे कैंसर मरीजों के भी स्पर्म व अंडे सुरक्षित रखे हैं, जिनकी कीमोथैरेपी होने वाली है। कीमो के बाद पुरुषों के टेस्टिस में असर होने से स्पर्म व महिलाओं के अंडाशय में अंडाणु बनना बंद हो सकते हैं।
MNC में काम करने वाले या मॉडल ज्यादा
इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के सेक्रेटरी जनरल डॉ. केजी नायर के मुताबिक दिल्ली स्थित उनके बैंक में हर साल दो-तीन युवतियां अंडाणु सुरक्षित रख रही हैं। इनमें ज्यादातर मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाली हैं। मॉडल्स भी इसमें शामिल हैं।