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ये है पूरा मामला..
बैतूल जिला अस्पताल के परिसर में रातभर ठंड से ठुठरती रही पीड़िता छिंदवाड़ा के बोमालिया गांव की रहने वाली है। उसके पिता विकलांग हैं और भाई काम करने राजस्थान गया हुआ था। चार महीने पहले घर के पीछे काम करते समय गांव के ही सतीश ने उसके साथ किया था। पिता के सामने ये सब हुआ, लेकिन विकलांग पिता कुछ नहीं कर पाया। पीड़िता चार माह तक डरी सहमी रही और उसके पेट में गर्भ ठहर गया। भाई जब काम से वापस आया तो उसे पूरी घटना बताई। इसके बाद भाई उसे लेकर बोरदेही थाने पहुंचा।
पीड़िता का कहना है कि चार माह पहले एक लड़के ने गलत कार्य किया था। पुलिस के साथ अस्पताल आए तो सारी रात ठंड में काटनी पड़ी। वहीं भाई ने बताया कि 19 जनवरी को बहन के साथ बोरदेही थाने पहुंचा था। पुलिस 20 जनवरी को शाम को अस्पताल चेकअप करवाने महिला आरक्षक के साथ आए थे। आरक्षक ने रात में हमें अकेले छोड़ दिया और चली गई। जाते समय कहा था सुबह आउंगी। हम दोनों ने रात आग के सामने बैठ कर गुजारी।
भाई ने बताया कि बोरदेही पुलिस हमें मेडिकल के लिए जिला अस्पताल बैतूल पहुंची और रात में मेडिकल कराया गया, लेकिन सोनोग्राफी नहीं हो पाई। इस कारण आरक्षक ने हमें अस्पताल में छोड़ दिया। इसके बाद हम परिसर के बाहर बैठ गए। इसके बाद साइकिल स्टैंड कर्मचारी संदीप हमारे पास पहुंचा और ऐसे बैठने का कारण पूछता। पूरी काहनी सुनने के बाद उसने अपने टिफिन से हमें खाना खिलाया और फिर पास में ही आग लगा दी। हमें पूरी रात ऐसे ही बैठे रहे। करीब 15 घंटे बाद सुबह अारक्षक अस्पताल पहुंची और फिर सोनोग्राफी करवाई। इसके लिए पीड़िता को पर्ची बनवाने के लिए भी लाइन में लगना पड़ा।
संदीप ने बताया कि भाई-बहन को पुलिस अस्पताल में छोड़ कर चली गई थी। उनके पास पैसे भी नहीं थीे। परेशान देख उन्हें खाना खिलाया और दरी में बैठने को कहा। ओढ़ने के लिए कुछ नहीं था इसलिए अलावा जलाया।
पूरे मामले में आरक्षक कल्पना का कहना है कि पीड़िता ने अपने रिश्तेदार के घर जाने का कहा था इसलिए उसे छोड़ कर चली गई थी। एएसपी घनश्याम मालवीय का कहना है कि पीडि़ता की पूरी मदद की जाएगी। आरोपी फरार है उसे जल्द पकड़ लिया जाएगा। यदि पीड़ता के साथ अस्पताल में ये सब हुआ है तो गलत है ऐसा नहीं होना चाहिए था। पूरे मामले की जांच की जाएगी।