भोपाल। हाल ही में सम्पन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी में एक नए युग की शुरूआत हो गई है। अब BJP के नाराज नेता गुस्सा होकर घर नहीं बैठते, बल्कि चुनाव मैदान में उतर रहे हैं या निर्दलीय प्रत्याशियों को मदद करके भाजपा के वोट काट रहे हैं। यही कारण रहा कि भाजपा 19 में से 10 नगरपालिकाएं हार गई। इनमें से 9 पर कांग्रेस की जीत हुई जबकि 1 पर बागी जीत गया। अब मुंगावली-कोलारस के प्रतिष्ठापूर्ण विधानसभा चुनाव सामने हैं। कहीं यही हाल इन दोनों सीटों पर ना हो जाए इसलिए नाराज नेताओं को मनाने की कवायद शुरू हो गई है।
भाजपा के सूत्र बताते हैं कि दोनों क्षेत्रों में 2 तरह की लिस्ट तैयार की जा रहीं हैं। पहली टिकट के दावेदार और दूसरी में वोट प्रभावित करने वाले नाराज नेता। तय किया गया है कि टिकट के दावेदारों से प्रत्याशी घोषित करने से पहले ही रायशुमारी कर ली जाएगी। यदि उन्हे कोई आपत्ति हुई तो कोई दूसरा महत्वपूर्ण पद दे दिया जाएगा ताकि वो कम से कम बगावत करके चुनाव लड़ने मैदान में ना उतर आएं।
इसके अलावा ऐसे नेता जो क्षेत्र में वोट प्रभावित कर सकते हैं और नाराज हैं। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए संगठन स्तर पर प्रभावी पहल की जाएगी। उनकी नाराजगी का कारण पता करके कोशिश की जाएगी कि उसे तत्काल दूर कर दिया जाए। भाजपा के पंडितों ने भविष्यवाणी कर दी है कि यदि बगावत और नाराजगी जारी रही तो केवल मुंगावली-कोलारस ही नहीं 2018 के विधानसभा चुनाव भी भारी पड़ जाएंगे। अब देखना यह है कि भाजपा की यह कवायद क्या कोई नया रंग लेकर आती है।