
पुरुष का मतलब आप जो भी समझते हो-पति, रक्षक, मालिक, महिलाओं की सेक्शुअलिटी तय करने वाले, उनकी मौत के बावजूद महिलाओं को जीवित रहने का हक है।’ महिलाएं चलती-फिरती वजाइना नहीं हैं। हां महिलाओं के पास यह अंग होता है लेकिन उनके पास और भी बहुत कुछ है। इसलिए लोगों की पूरी जिंदगी वजाइना पर केंद्रित, इस पर नियंत्रण करते हुए, इसकी हिफाजत करते हुए, इसकी पवित्रता बरकरार रखते हुए नहीं बीतनी चाहिए।
मैं मानती हूं कि यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और सती और जौहर आदि कुप्रथाएं हमारे समाज का ही हिस्सा रही हैं लेकिन फिल्म की शुरुआत में सती-जौहर प्रथा के खिलाफ डिस्क्लेमर दिखा कर निंदा कर देने भर का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इसके आगे तीन घंटे तक राजपूत आन-बान-शान का महिमामंडन चलता है।
स्वरा भास्कर अनारकली ऑफ आरा, तनु वेड्स मनु, प्रेम रतन धन पाओ, निल बटे सन्नाटा जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं।