अगर अपनी संपत्ति का बीमा (PROPERTY INSURANCE) कराते समय प्रीमियम में बचत के इरादे से उस संपत्ति की कम कीमत बताई जाती है तो भुगतान का दावा करते समय मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रीमियम में बचत के नाम पर लोग अक्सर सामान्य बीमा लेते समय प्रॉपर्टी की कीमत कम करके बताते हैं। लेकिन INSURANCE COMPANY केवल बीमित राशि का भुगतान करने के लिए ही बाध्य हैं।
उच्चतम न्यायालय ने आईसी शर्मा बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी वाद में यह टिप्पणी की है। इस मामले में एक व्यक्ति ने घर का बीमा कराते समय उसकी कीमत असली मूल्य से कम बताई थी। उसके विदेश यात्रा पर रहते समय उस घर में लूटपाट हो गई थी लेकिन जब उसने बीमा कंपनी के सामने चोरी हुए सामान की सूची सौंपी तो उसने भुगतान करने से मना कर दिया था।
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में भी संतोषजनक राहत नहीं मिलने के बाद वह उच्चतम न्यायालय में गए। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि भले ही चोरी हुए सामान की कुल कीमत बीमित राशि से अधिक हो लेकिन बीमाधारक को कुल बीमित राशि ही मिलेगी, उससे एक पैसा अधिक नहीं मिलेगा।