भोपाल। राजधानी BHOPAL में रिश्वत के बदले DRIVING LICENSE की परंपरा ना केवल पुरानी है बल्कि तमाम हादसों के बाद भी बदस्तूर जारी है। RTO की यही घूसखोरी 6वीं की छात्रा गरिमा शिवदासानी की मौत का कारण बनी। जिस कार ड्राइवर ने गरिमा को टक्कर मारी वो ड्राइविंग सीख रहा था जबकि उसका लाइसेंस 2010 में ही जारी कर दिया गया था। सवाल यह है कि जब उसे ड्राइविंग आती ही नहीं थी तो लाइसेंस कैसे जारी हुआ। इस मामले में लाइसेंस जारी करने वाला आरटीओ भी आरोपी दर्ज होना चाहिए।
बैरागढ़ में यादव रेस्टोरेंट के पास हुए हादसे के बाद परिवार और रहवासियों का आरोप है कि कार की टेस्टिंग लिए बगैर आरटीओ ने कन्हैया को वर्ष 2010 में लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) का लाइसेंस कैसे इश्यू कर दिया? इसको लेकर पुलिस ने भी आरटीओ भोपाल को पत्र लिखा है। साथ ही कन्हैया का लाइसेंस कैंसिल करने की भी अनुशंसा की है। टीआई सुधीर अरजरिया के मुताबिक हादसे के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 304ए का केस दर्ज किया गया है।
इस मामले में थाने से ही जमानत का प्रावधान है, इसके बाद भी शुक्रवार दोपहर उसे अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी है। गुरुवार सुबह करीब पौने नौ बजे कन्हैया ने गरिमा और स्तुति सेंगर को टक्कर मार दी थी। गरिमा ने कुछ देर बाद ही दम तोड़ दिया, जबकि स्तुति को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।