भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी की मानहानि के मामले में, दो साल की जेल और 25 हजार जुर्माने की सजा सुनाए जाने के बाद, केके मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एटार्नी जनरल से पूछा है कि, जब इस केस में सुप्रीम कोर्ट विश्लेषण कर रही थी, तो ट्रायल कोर्ट को सजा सुनाने की जल्दी क्यों थी। केके मिश्रा की तरफ से केटीएस तुलसी और विवेक तनखा ने पैरवी की। वहीं इस मामले की सुनवाई जस्टिस तरुण गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा ने की।
SC ने राज्य सरकार को जारी किया था नोटिस
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एटार्नी जनरल को कहा है कि, जब ट्रायल कोर्ट के विश्लेषण में विसंगति थी और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था, तो सजा सुनाए जाने की जल्दी क्या थी। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट विश्लेषण को लेकर अध्ययन करेगी।
विश्लेषण गलत होने पर सजा हो सकती है रद्द
केके मिश्रा का कहना है कि कोर्ट ने यहां तक कहा है कि, अगर विश्लेषण गलत बताया गया तो सुनाई गई सजा रद्द की जा सकती है। उन्होंने कहा कि देश में न्यायपालिका मौजूद है, न्यायपालिका का हम सभी नतमस्तक होकर आदर करते हैं। मेरे द्वारा उठाया गया मामला मेरे द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से संबंधित न होकर भ्रष्टाचार का उजागर करने से संबंधित है।
2 साल की सजा और 25 हजार का जुर्माना
उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि भारतीय न्यायपालिका, जो विश्व की श्रेष्ठ न्यायपालिका है, मेरे पक्ष में फैसला देगी। इस देश में कानून के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ काम करने वाले लोगों को संरक्षण भी देगी। 17 नवम्बर को मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी, परिजनों पर व्यापमं घोटाले में आरोप लगाने के मामले में मानहानि मुकदमे में कांग्रेस प्रवक्ता को 2 साल की सजा और 25 हजार का जुर्माना लगाया गया है।
केके मिश्रा ने प्रेसवार्ता कर लगाए थे आरोप
केके मिश्रा के आरोपों से आहत सीएम शिवराज सिंह ने भोपाल जिला न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में न्यायाधीश काशीनाथ सिंह ने अपना फैसला सुनाते हुए के के मिश्रा को सजा सुनाई थी। ये मामला व्यापमं की परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा से जुड़ा है। इस मामले में के के मिश्रा ने प्रेसवार्ता कर सीएम शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह पर आरोप लगाए थे।
सीएम ने कोर्ट में परिवाद किया था दायर
दरअसल, व्यापमं की परिवहन भर्ती परीक्षा को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने भोपाल में एक प्रेसवार्ता में सीएम शिवराज सिंह और उनकी पत्नी साधना सिंह पर आरोप लगाया था कि, व्यापमं के जरिए सीएम शिवराज सिंह की ससुराल गोंदिया से 19 लोगों का परिवहन आरक्षक पद पर चयन हुआ है। इसके बाद सीएम ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था।