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मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के ओरछा में वर्ष 1575 में बने राम राजा के मंदिर में राजनेताओं, अफसरों और सेलेब्रिटी को भी सामान्य प्रजा के रूप में ही दर्शन करने की परंपरा है। यहां भगवान राम सर्वोपरि हैं। यहां भगवान राम राजा हैं। माना जाता है कि वो यहीं से अपने राज्य का संचालन करते हैं। दुनिया के सभी मंदिरों में भगवान राम के वनवासी स्वरूप की प्रतिमाएं स्थापित हैं परंतु यहां भगवान राम का दरबार लगता है। परंपरा के अनुसार मप्र शासन के पुलिस विभाग द्वारा उन्हे दिन में चार बार गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। उनके दरबार में सशस्त्र सैनिक तैनात होते हैं और मंदिर पर भगवा ध्वज नहीं बल्कि तिरंगा लहराता है।
प्रशासनिक फैसले का विरोध शुरू
ऐसे में मंदिर में वीआईपी दर्शन का विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय लोग इसे परंपरा के खिलाफ मानते हैं। पहली बार है जब मंदिर में आम और खास में अंतर किया जा रहा है। इसके पहले मंदिर की परंपरा के हिसाब से यहां कोई भी वीआईपी नहीं होता है। सभी को सामान्य दर्शनार्थी के रूप में दर्शन करने होते हैं। लालबत्ती लगी गाड़ी भी मंदिर तक नहीं जाती। वीवीआईपी का हेलीकॉप्टर ओरछा की सीमा में लैंड नहीं करता है।
भगवान राम यहां के लोगों के लिए कितने मायने रखते हैं, इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि भगवान राम के बाएं पैर के अंगूठे को देखकर दर्शन किए जाते हैं। मान्यता के हिसाब से राम ओरछा के राजा हैं और राजा से सीधे आंखें मिलाने की पंरपरा नहीं है।