इंदौर। हादसे का शिकार हुई दिल्ली पब्लिक स्कूल (DELHI PUBLIC SCHOOL) की बस पूरी तरह से खटारा थी। उसे ट्रक ने टक्कर नहीं मारी बल्कि BUS स्टीयरिंग फेल हुआ और वो डिवाइडर फांदकर सामने से आ रहे ट्रक से जा भिड़ी। बस में बच्चों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। बस इतनी घटिया थी कि ट्रक से टकराते ही क्रैश (CRASH) हो गई। बस के अगले हिस्से के पखच्चे उड़ गए। यह कोई प्राकृतिक एक्सीडेंट नहीं है बल्कि स्कूल प्रबंधन ने अपने बच्चों की जान जोखिम में डाल रखी थी। यदि स्कूल अपनी बसों को फिट रखता तो यह हादसा होता ही नहीं। बता दें कि इस हादसे में 4 बच्चे और बस ड्राइवर की मौत हुई है।
बताया गया है कि आमने सामने की टक्कर में खातीवाला टैंक निवासी 4 बच्चों के साथ ही ड्राइवर राहुल की भी मौके पर मौत हो गई। टक्कर के बाद कुछ बच्चे खिड़कियों से बाहर आ गिरे। एक के पैर पर से ट्रक का पहिया गुजर गया। ड्राइवर स्टीयरिंग में ही फंस गया। 8 बच्चे और कंडक्टर घायल हैं। दो की हालत गंभीर है। इन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। हादसा बायपास रोड पर हुआ। उस वक्त बस में 12 बच्चे थे।
लोगों ने बताया कि बस डिवाइडर तोड़कर दूसरी लेन में ट्रक से टकराई। उसकी स्पीड तेज थी। ट्रक लोड था वह भी बस की टक्कर से ब्रिज की बाउंड्रीवाॅल तक टकरा गया। यदि ट्रक नहीं होता तो बस ब्रिज की दीवार तोड़कर 13 फीट नीचे जा गिरती।
घटिया थी बस, शिकायत पर भी नहीं सुधरवाई
परिजनों का आरोप है कि स्कूल की बस की स्टीयरिंग हाथ में आ जाती थी। शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके जवाब में सुदर्शन सोनार, प्रिंसिपल, डीपीएस का कहना है कि बस पूरी तरह से अपडेट और फिट थी। सवाल यह है कि यदि फिट थी और स्टीयरिंग फेल कैसे हुआ और यदि बस अच्छी थी तो क्रैश क्यों हो गई।
आखों देखी
अचानक धमाके की आवाज हुई। ब्रिज की ओर देखा तो ट्रक धीरे-धीरे किनारे की ओर आ रहा था। सोचा टायर फटा होगा। इतने में बस भी दिख गई। मैं, दो दोस्त पप्पू सोनगरे और इंदर सिंह के साथ ब्रिज की ओर दौड़ा। ब्रिज पर पहुंचे तो पता चला कि बस और ट्रक में भिड़ंत हो गई है। बच्चे रो रहे थे। वहां मासूमों के शव देखकर हमारे रोंगटे खड़े हो गए। कुछ बच्चे तो इस तरह फंसे थे कि उन्हें पतरे काटकर निकाला गया। एम्बुलेंस आने में देर हो रही थी तो स्कूल की ही अन्य बसों में इन्हें अस्पताल रवाना किया गया। इतना भयानक एक्सीडेंट कभी नहीं देखा।
गोवर्धन, पंक्चर सुधारने वाले (बच्चों को बस से निकाला था।)
-------------------
श्रुति के चाचा मोहन लुधियानी ने बताया कि श्रुति परिवार में इकलौती बेटी थी। माता-पिता को शादी के 20 साल बाद काफी मिन्नतों से हुई थी। पिता चाय कारोबारी हैं।
स्वास्तिक पंड्या का 17 दिसंबर को जन्मदिन था। मां ने फेसबुक पर उसके साथ का फोटो भी पोस्ट किया था। गॉड ब्लेस यू बेटा...अच्छा इंसान बनना भी लिखा था।
बेटी कृति अग्रवाल को खो चुके पिता ने उसकी आंखें दान करने का निर्णय लिया। उन्होंने पोस्टमार्टम से पहले डाॅक्टरों से कहा कि बेटी की आंखें किसी को दान कर दो, ताकि वह आंखों से जिंदा रहे।
तीसरी की छात्रा हरमीत उर्फ खुशी के ताऊ राजेंद्र सिंह ने बताया कि वह सबकी लाड़ली थ। हादसे के बाद से ही उसकी मां बेटी से मिलने के लिए बेचैन है। कह रही है- मेरी लाड़ली का पीएम मत करो।