क्या हिंदुत्व भारतीय राजनीति की धुरी बन रहा है ? | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। देश के वर्तमान माहौल को देखते हुए यह स्पष्ट होने लगा है कि भारतीय राजनीति पिछले 7 दशकों से जिस धुरी पर चल रही थी, वह बदल रही है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस प्रत्यक्ष रूप से तथा उनके साथ कुछ अन्य दल परोक्ष रूप से राजनीति धुरी समाजवाद से हिंदुत्व की ओर धकेल रहे हैं। कल की खबरों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा अमेठी यात्रा की शुरुआत हनुमान मन्दिर से करना। केंद्र सरकार द्वारा एक झटके में हज यात्रा की सब्सिडी समाप्त करना तथा विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया की कांग्रेस द्वारा अत्याधिक चिंता इस बात की और इशारा करता है कि भारतीय राजनीति की धुरी अब हिंदुत्व होने जा रही है। 2019 के चुनाव का केंद्र बिंदु सम्भवत: यही होगा।

केंद्र द्वारा हज सब्सिडी को समाप्त करने का निर्णय एक झटके में ले लिया गया। यह सब्सिडी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार शनै:-शनै: समाप्त होनी थी। राजनीति और विशेषकर विदेश राजनीति के जानकार इसे इजरायल प्रेम की संज्ञा दे रहे हैं। इजरायल प्रेम तो तात्कालिक घटना हो सकती है। संघ परिवार के अनुषांगिक सन्गठन इस बात को पहले भी काफी मुखर होकर उठाते रहे हैं। गुजरात चुनाव से और कोई परिवर्तन भले ही नहीं आया हो, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के साथ कांग्रेस नेताओं का झुकाव हिंदुत्व की ओर दिखाई दे रहा है। नर्मदा यात्रा कर रहे दिग्विजय सिंह के सामने नर्मदा जी का प्राकट्य जैसी खबरों के साथ संघ परिवार में हाशिए पर चल रहे डॉ प्रवीण तोगड़िया के पक्ष में कांग्रेस के प्रेम का उभरना भी तो यही है।

वैसे तोगड़िया के आए बयान से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ परिवार के भीतर चल रहा घमासान सतह पर आ गया है। अपने एनकाउंटर की साजिश की आशंका जताते हुए विहिप नेता ने हालांकि किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन यह कहा कि वह मौत से नहीं डरते और हिंदुत्व के लिए लगातार आवाज उठाते रहेंगे। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि विहिप के फायर ब्रांड नेता तोगड़िया संघ परिवार में खुद को बेहद अलग थलग महसूस कर रहे हैं और उनके ऊपर हिंदुत्व के उन मुद्दों पर जोर न देने का दबाव है, जिनसे केंद्र सरकार को सरकार चलाने में परेशानी पैदा हो। 

भाजपा और संघ परिवार इस “हिंदुत्व” श्रेय यात्रा को अपने तरीके चलाना चाहते है, जिससे सारा  श्रेय भाजपा की झोली में ही गिरे। वैसे केंद्र सरकार के कई फैसलों को लेकर संघ परिवार में इन दिनों जबरदस्त घमासान है। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे हिंदुत्व के प्रति कट्टर अनुषांगिक संगठन राम मंदिर निर्माण के लिए संसद द्वारा कानून बनाने को लेकर सरकार की हीलाहवाली से खफा हैं, तो स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ और भारतीय किसान संघ केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर परेशान हैं। लेकिन हिंदुत्व तो सबका साझा मुद्दा है।

देश हित चिंतक और विचारक के एन गोविन्दाचार्य इस बात से सहमत हैं कि “देश की राजनीति की धुरी को राजनीतिक दल समाजवाद से हिंदुत्व की और ले जा रहे हैं। इसके परिणाम भविष्य के गर्भ में हैं” अब प्रश्न राजनीति का नहीं, देश की साख और उस चरित्र का है, जो हमने 7 दशक पूर्व निर्धारित किया था।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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