सबका साथ और सबका विकास तो सपना मात्र | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। समाज में गैर बराबरी दूर करने और सबका साथ सबका विकास का नारा बुलंद करने वाली BJP सरकार के इस दिशा में प्रयास बौने साबित हो रहे हैं। इसका प्रमाण दावोस में सामने आया है। देश के बजट के बराबर अमीरों की सम्पदा (WEALTH) 2017 में बड़ी है। देश के सिर्फ एक प्रतिशत अमीरों के पास पिछले साल सृजित कुल संपदा का 73 प्रतिशत हिस्सा है। दावोस में एक गैर सरकारी संस्था द्वारा जारी एक नए सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। यह रिपोर्ट इस बात को उजागर करती है कि भारत में अमीरी और गरीबी के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले साल के ऑक्सफेम नामक संस्था के सर्वे से यह खुलासा हुआ था कि देश के महज 1 प्रतिशत अमीरों के पास कुल संपदा का 58 प्रतिशत हिस्सा है। अब हुए सर्वे के अनुसार साल 2017 के दौरान भारत के एक फीसदी अमीरों की संपदा में 20.9 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यह राशि साल 2017-18 के केंद्र सरकार के कुल बजट के बराबर है।

वैसे सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि वैश्व‍िक स्तर पर भी असमानता काफी ज्यादा है। पिछले साल सृजित कुल संपदा का 82 प्रतिशत हिस्सा दुनिया के सिर्फ एक फीसदी अमीरों के पास सीमित है। इस सर्वे में पिछले साल के आंकड़े दिए गए हैं। दुनिया के दिग्गज अमीरों के जमावड़े वाले वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से कुछ घंटों पहले ही इंटरनेशनल राइट्स ग्रुप ऑक्सफेम ने अपने सर्वे के नतीजे जारी किए थे।

सर्वे में बताया गया है कि दुनिया के बेहद गरीब 3.7 अरब लोगों की संपदा में कोई बढ़त नहीं हुई है। गौरतलब है कि ऑक्सफेम द्वारा हर साल जारी होने वाली रिपोर्ट पर वर्ल्ड इकोनॉमिक समिट में भी चर्चा की जाती है। 'रीवार्ड वर्क, नॉट वेल्थ' शीर्षक की इस रिपोर्ट से यह समझ में आता है किस प्रकार संपदा कुछ लोगों के हाथ में सिमट रही है और करोड़ों लोग गरीबी से बाहर आने के लिए जूझ रहे हैं। अध्ययन के अनुसार एक अनुमान लगाया गया है कि ग्रामीण भारत में एक न्यूनतम मजदूरी हासिल करने वाले श्रमिक को किसी दिग्गज गारमेंट फर्म के शीर्ष वेतन वाले एग्जिक्यूटिव के बराबर आय तक पहुंचने में 941 साल लग जाएंगे।

इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले साल में 17 नए अरबपति बने हैं। इस तरह देश में कुल अरबपतियों की संख्या 101 हो गई है| भारतीय अरबपतियों की संपदा बढ़कर 20.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। जो कि देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य और शिक्षा बजट के 85 प्रतिशत के बराबर है।

ऑक्सफेम की रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी है कि भारत की आर्थिक तरक्की का लाभ कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित हो गया है। सर्वे के अनुसार देश में सिर्फ 4 अरबपति महिला हैं और इनमें से भी तीन को यह संपदा विरासत में मिली है। गरीबों के हाल दिन-ब-दिन  बदतर होती जा रही है। ऐसे में सबका साथ सबका विकास तो सपना ही है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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