राकेश दुबे@प्रतिदिन। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश की सरकार जनसंख्या नियन्त्रण के मामले में केंद्र सरकार के साथ कदम नहीं मिला पा रही हैं। जहाँ केंद्र सरकार देश की औसत जनसंख्या वृद्धि के दर को 2.1 प्रतिशत पर लाना चाह रही है। वहीं ये राज्य जनसंख्या वृद्धि दर को थाम नहीं पा रहे हैं। स्वस्थ्य मंत्रालय ने एक मानक तैयार किया है जिसके मुताबिक हरेक राज्य की जनसंख्या वृद्धि की दर 2.1 या इसके नीचे हो। इसके विपरीत मध्य प्रदेश में 2.8 प्रतिशत, छत्तीसगढ में 2.5 प्रतिशत, राजस्थान 2.7 प्रतिशत , उत्तर प्रदेश 3.1 प्रतिशत , बिहार 3.3 प्रतिशत, असम 2.3 प्रतिशत और झारखंड में यह वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत है | फिलहाल देश के नौ राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिसका वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत के बीच है। तीन राज्यों में यह दर तीन से अधिक है। इनमें सात राज्यों में भाजपा की सरकार है। हालांकि गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, गुजरात और हरियाणा जैसा भाजपा शासित राज्यों में यह दर औसत से कम है।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देश के 24 राज्यों में जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे है। देश के करीब दो तिहाई राज्यों में यह दर मानक के मुताबिक है। लेकिन एक तिहाई राज्यों की वजह से यह आंकड़ा औसत को नहीं छू पा रहा है। मंत्रालय ने इसके लिए व्यापक योजना तैयार की है। इसके तहत सात उन भाजपा शासित राज्यों के 146 जिलों को चुना गया है जहां का दर औसत के खासा ज्यादा है। हालांकि गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, गुजरात और हरियाणा जैसा भाजपा शासित राज्यों में यह दर औसत से कम है।
जनसंख्या नियंत्रण कानून के मामले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के अपने ही मंत्रियों के बीच एक राय नजर नहीं आ रही है। सरकार के मंत्रियों के स्वर अलग-अलग उभरकर सामने आए हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने कड़े जनसंख्या कानून की मांग को लेकर अपने संसदीय क्षेत्र नवादा से आंदोलन की शुरूआत का ऐलान कर रखा है। तो भाजपा शासित राज्य असम ने दो बच्चे का कानून बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए कानून के मसौदे को राज्य विधानसभा में चंद माह पहले ही पेश किया है।
इसके विपरीत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने देश की प्रजनन दर (टीएफआर) को नियंत्रण में बताते हुए जनसंख्या कानून की आवश्यक्ता से इंकार किया है। नड्डा ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। तो जनसंख्या नियंत्रण के लिए भाजपा शासित राज्य असम के जरिए चंद माह पहले विधानसभा में पेश दो बच्चे के कानून के मसौदे पर नड्डा ने कहा कि उसे उन्होंने अभी पढ़ा नहीं है। उल्लेखनीय है कि चंद माह पहले ही असम सरकार ने दो बच्चे का कानून बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए विधानसभा में बिल का मसौदा पेश किया है। दरअसल संघ की ओर से समय-समय पर दो बच्चे के कानून की मांग उठती रही है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।