पिता हरियाणा से काम की तलाश में कानपुर आए थे। 100 रुपए महीना कमाते थे। इसी में घर चलता था। माता, पिता और तीन बच्चों की गुजर होती थी। पेटकाटकर उन्होंने एक छोटी सी दुकान खोली। बेटा ओमप्रकाश डालमिया भी उनका साथ देता था। एक दिन वो 1993 में रिलीज हुई फिल्म 'सर' देख रहा था। बस यहीं से उसकी लाइफ ने टेकआॅफ लिया। ओमप्रकाश ने बिजनेस करने का तरीका बदला और आज उन्हे उत्तरप्रदेश के कारोबारी जगत में मसाला किंग के नाम से जाना जाता है।
ओम प्रकाश डालमिया सिविल लाइंस में पत्नी गीता डालमिया और बेटा पुलकित डालमिया के साथ रहते हैं। मसाला किंग के नाम से पहचाने जाने वाले ओम प्रकाश डालमिया ने बताया कि 1954 में पिता जी रघुनाथ प्रसाद डालमिया हरियाणा से काम की तलाश में कानपुर आए थे। जहां उन्होंने स्वदेशी कॉटन मिल में नौकरी करनी शुरू की। उस वक्त का दौर बड़े ही गरीबी में बीता था। पिता जी ने महज़ 100 रुपए की नौकरी करते हुए हम तीनों भाइयों को पढ़ाया-लिखाया। फिर कुछ समय बाद जनरलगंज इलाके में एक दुकान खोली और उससे परिवार की भरण-पोषण करने लगे।
पिता जी से किया था ये वादा
ओम प्रकाश अक्सर पिताजी के साथ पनकी मंदिर जाते थे। एक वाक्या याद करते हुए बताया कि पिताजी के साथ रिक्शे से जा रहा था। पनकी एरिया के बीच पड़ने वाली फैक्ट्रीज को अक्सर देखा करता था और पिताजी से कहता कि एक दिन इससे भी बड़ी फैक्ट्रियां और जगह बनाऊंगा। आज पनकी बाबा के आशीर्वाद से हम तीनों भाई जय प्रकाश डालमिया और श्री प्रकाश डालमिया ने मिलकर अपने व्यवसाय को बढ़ाकर उसे इस मुकाम तक पहुंचा दिया।
फिल्म से सफलता का क्या रिश्ता
1993 में सर नाम की एक मूवी आयी थी। उसमें नसरुद्दीन शाह ने एक टीचर की भूमिका में थे, जिन्हें सभी स्टूडेंट्स सर कहते थे। उनके इस रोल से प्रभावित होकर सर का मतलब समझ आया। जिंदगी को देखने का नया नजरिया मिला। फिल्म से मिले टिप्स कहीं भूल ना जाएं इसलिए कंपनी का नाम ही 'सर' रख लिया। आज उनकी कम्पनी केवल पान मसाले में नही बल्कि एफएमसीजी सेक्टर में भी कदम रख दिया है। कंपनी द्वारा बनाए गए माउथफ्रेशनर, हर्बल लोशन ,टॉफी और डियो जैसे कई प्रोडक्ट देश के कोने-कोने में ब्रांड बने हुए है, जिनका रिस्पॉन्स भी अच्छा मिल रहा है।