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मप्र के राजनैतिक गलियारों व प्रशासनिक अफसरों के बीच रावत के अगले सीईसी बनने की खबर से हलचल तेज हो गई है। दरअसल, अभी तक अपनाई गई प्रक्रिया के अनुसार सबसे सीनियर चुनाव आयुक्त को ही मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जाता है। वर्तमान में चुनाव आयुक्तों में रावत सबसे सीनियर हैं। रावत की नियुक्ति उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी मानी जाएगी। उनके 11 माह के कार्यकाल में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक समेत नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के विधानसभा चुनाव होंगे। वे दिसंबर 2018 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु ( दोनों में से जो भी पहले हो) तक रहता है। रावत वर्ष 2013 में केंद्र सरकार में भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय में सचिव (लोक उपक्रम) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें 13 अगस्त 2015 को चुनाव आयोग में आयुक्त नियुक्त किया था।
मऊ व इंदौर दंगों को रोकने में अहम रोल
राव के बारे में कहा जाता है कि वे फैसले लेने में देरी नहीं करते और उनके फैसले मैरिट पर आधारित होते हैं। इंदौर कलेक्टर रहते हुए उन्होंने मऊ और इंदौर में सांप्रदायिक दंगों को रोकने में अहम रोल निभाया था। उन्होंने मप्र में आदिमजाति कल्याण, वाणिज्यिक कर, आबकारी सहित कई विभागों में अपनी सेवाएं दी हैं।
ज्योति और रावत का नर्मदा कनेक्शन
यह महज एक संयोग है कि वर्तमान सीईसी अचल कुमार ज्योति और उनके बाद यह पद संभालने वाले रावत ने नर्मदा नदी के लिए काम किया है। ज्योति सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं। जबकि रावत नर्मदा घाटी विकास विभाग में उपाध्यक्ष रह चुके हैं।