
चूरमा बनाने के लिए करीब 72 हलवाई और उनके सहयोगी लगे। इसके लिए हलवाई घी में मुठियां बनाते, जिसे ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर 2 थ्रेशरों में पीसने के लिए लाया जाता। मुठियां पीसने के बाद उसमें एक जेसीबी की सहायता से घी, खांड, काजू, किशमिश, बादाम, खोपरा आदि मिलाया गया। इसके अलावा 25 क्विंटल दाल, 80 क्विंटल दूध का दही जमाकर प्रसादी के रूप में बांटा गया। दाल में 5 क्विंटल टमाटर, 2 क्विंटल हरी मिर्च सहित एक क्विंटल हरा धनिया और मसाला डाला गया। भंडारे में करीब डेढ़ लाख से अधिक पत्तल व तीन लाख से अधिक दोने मंगवाए गए। करीब एक दर्जन पानी के टैंकर जगह जगह खड़े किए गए।
दरअसल, मंगलवार को 9वां वार्षिकोत्सव है। बीते 9 साल से कल्याणपुरा और कुहाड़ा के लोग इस लक्खी मेले के लिए एक माह पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं। गांव वाले इस लक्खी मेले को इतने बेहतरीन ढंग से पूरा कराते हैं कि पुलिस प्रशासन भी हैरान है। मेले में आने वाले हजारों वाहनों के लिए गांव वाले पार्किंग की व्यवस्था तक खुद संभालते हैं। ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास यह मेला अद्भुत उदाहरण है। हेलीपेड से लेकर बाबा के दर्शनाें के लिए जगह-जगह 200 वालिटिंयर्स तैनात किए जाते हैं।