
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण मध्यजोन भोपाल (NGT) द्वारा गत 4 जनवरी 2018 को किशोर समरिते विरूद्ध भारत सरकार एवं अन्य 6 के प्रकरण में सुनवाई के दौरान प्राधिकरण के विशेषज्ञ सदस्य माननीय सत्यवान सिंग ग्रेवाल ने प्राधिकरण द्वारा 2/3/2017 एवं 22/4/2017 को पारित आदेश जिसमें समूचे प्रदेश के जल स्त्रोतों के संबंध में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराये जाने हेतु मुख्य सचिव मध्यप्रदेश द्वारा प्रदेश के समस्त कलेक्टरों को डीओ लेटर के माध्यम से आदेश जारी किये गये थे की वे वांछित जानकारी प्राधिकरण को उपलब्ध करायें। प्रदेश के 25 कलेक्टरों ने उक्त पत्र के आधार पर जलस्त्रोतों के संबंध में आंशिक जानकारी ही उपलब्ध कराई लेकिन 19 कलेक्टरों ने ततसंबंध में कोई जानकारी ही उपलब्ध नही कराई।
प्राधिकरण द्वारा पुन: मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन को निर्देश दिये है की प्रकरण की अगली सुनवाई दिनांक 16 फरवरी 2018 के पूर्व वांछित जानकारी अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें। प्राधिकरण द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि 23/8/2017 को पारित आदेश के परिपालन एवं क्रियान्वयन हेतु मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन एवं प्रधान सचिव पर्यावरण मध्यप्रदेश को की वे पारित आदेश जिसमें जलाशयों के फुलटेंक लेबल (एफटीएल) से 30 मीटर की परिधि में भवन निर्माण हेतु जारी अनुमति को रोके जाने के संबंध में पारित आदेश के आधार पर कि गई कार्यवाही के संबंध में अगली सुनवाई पर जानकारी प्रदान करें।
उल्लेखनीय है कि 22/4/2016 को आदेशित किया गया था की राज्य सरकार और उसकी एंजेसीयां सर्वेक्षण कर राज्य अभिलेखों और अन्य प्रासगिंक रिकार्ड के आधार पर राज्य के सभी जल निकायों और झीलों के दस्तावेज प्रस्तुत करें जिसमें जल निकायों की सीमा और उनकी वर्तमान स्थिति का ब्यौरा हो। इसी आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि निर्देशित क्षेत्र के भीतर सभी अतिक्रमण हटा दिये जाये जो विशेष रूप से देवी तालाब बालाघाट के संबंध में दर्ज किये गये थे। पर्यावरण एवं जल सरंक्षण से संबंधित मामलों में प्रदेश के कलेक्टरों द्वारा एनजीटी के निर्देशों का परिपालन एवं क्रियान्वयन ना किया जाना तथा वांछित जानकारी उपलब्ध ना कराया जाना एक गंभीर विषय है।