भोपाल। अध्यापक संविदा शिक्षक संघ मप्र के प्रांताध्यक्ष मनोहर दुबे, राकेश पांडेय एवं राजेन्द्र परमार ने बताया कि सरकार और गैर जिम्मेदार अधिकारी स्वयं अध्यापकों के आदेश को मकडजाल में उलझा रही है। ज्ञात हो कि 4 सितंबर 2013 को चार किस्तों में छठवाँ वेतनमान के आदेश किये गये जिसकी 3 किस्तें मिल चुकी हैं, उसी आदेशानुसार आगे बढाते हुए 15 अक्टूबर 2016 को पुन: छठवां वेतनमान के आदेश (मूल वेतन+ग्रेड पे का 3%) अनुसार किये। जिसमे कुछ विसंगति थी, जिसे निरस्त किया गया। अब 7 जुलाई 2017 को जारी आदेश एवं 21 दिसंबर 2017 को जारी क्रमोन्नति वेतनमान के स्पष्टीकरण में पांचवा वेतन मान से गणना करते हुए, वर्ष 2004-2013 तक नियुक्त सभी 90 हजार अध्यापक संवर्ग का वेतन मान जानबूझकर कम कर दिया है, उनसे तानाशाही पूर्वक वसूली करेगी सरकार।
पूर्व में 15 अक्टूबर 2016 के आदेश में (मूल वेतन +ग्रेड पे का 3% से) अध्यापक संवर्ग की दिनांक से छठवाँ वेतन की गणना की गई है, और वह विद्यमान वेतनमान 1 अक्टूबर 2015 अनुसार वेतनमान निर्धारण हुआ, जो सही है, परन्तु 7 जुलाई 2017 के नये आदेश में गणितज्ञ अधिकारियो ने क्रमोन्नति हो चुके 1998 से 2003 के सभी अध्यापक संवर्गो का गलत वेतन निर्धारण कर अधिकांश अध्यापकों का कम और कुछ का अधिक वेतनमान निर्धारण किया गया।
2004 से 2013 के सभी अध्यापकों का पांचवा वेतनमान से वेतन निर्धारण कर सभी 2.84 लाख अध्यापको का वेतन कम कर दिया, 7 जुलाई 2017 के आदेश निरस्त किये जाये, छठवाँ वेतन मान अनुसार। अध्यापक संवर्ग की दिनांक से गणना कर 1 जनवरी 2016 से स्वीकृत वेतनमान दिया जाये
मांग-:
1) अध्यापक संवर्ग को छठवाँ वेतन मान-शिक्षक संवर्ग के समान दिया जाए, जिसकी गणना अध्यापक संवर्ग की नियुक्ति दिनांक 1 अप्रेल 2007 से (मूलवेतन+ग्रेड पे का 3%) से हो,और सरकार की योजना अनुसार विशेष वेतन व्रद्धियाँ और छ: माह से अधिक होने पर एक वेतन वृद्धि दी जाए.
(२) 7 जुलाई 2017,एवं 21 दिसंबर 2017 के वेतन विसंगति युक्त आदेश एवं स्पष्टीकरण को निरस्त किया जाए,यह आदेश केबिनेट में हुए निर्णय के खिलाफ है,
(३) शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाय.
(४) लोक शिक्षण संचालनालय के गैर जिम्मेदार अधिकारियो पर कार्यवाही की जाय.
सरकार के आला अधिकारी अध्यापको का नियम विरुद्ध नये-२ आदेश जारी कर आर्थिक शोषण और मानसिक क्षति पहुंचा रहे है,और चुनाव पास होने पर सरकार के विरूद्ध अध्यापको को भडकाने का काम कर रहे है,
यदि शीघ्र ही हमें न्याय नहीं मिलता तो हम 2.84 लाख अध्यापक सरकार के खिलाफ जायेगें,और मान.न्यायालय से ही न्याय करने की मांग करेगे।