
सरकार चार अलग-अलग विभागों में काम करने वाले अध्यापकों, गुरूजियों के 5-7 साल पहले बने संगठनों की बात सुने, उनका एक कैडर बनाये, इसमें एतराज की बात नहीं। सरकार अन्य विभागों, संवर्गों के अधिकारियों/कर्मचारियों, विभिन्न संगठनों की पंचायत बुलाये, उनकी मॉंगों का, समस्याओं निराकरण करे, अच्छी बात है किन्तु अनुशासित, कर्त्तव्यनिष्ठ और 24 घण्टे, सातों दिन अधिकारियों के निर्देशों का तत्परता से पालन करने वाला एक छोटा-सा संवर्ग उपेक्षित रहे, आर्थिक नुकसान उठाये, यह कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील कही जाने वाली सरकार के लिए ठीक बात नहीं।
मुख्यमंत्री जी, आपने हाल में न केवल अध्यापकों का सिंगल कैडर बनाये जाने की सार्वजनिक घोषणा की है, बल्कि यह भी आश्वासन दिया है कि, लिपिकवर्गीय कर्मचारियों की तमाम वेतन विसंगतियों और मॉंगों का समाधान 02 माह के भीतर कर दिया जाएगा। माननीय मुख्यमंत्री जी, मध्यप्रदेश में गैर-मंत्रालयीन शीघ्रलेखकों की संख्या 2000 से अधिक नहीं है, और न ही इसका कोई पंजीकृत, विधिमान्य संगठन है। इस संवर्ग ने कभी अपनी मॉंगों, समस्याओं के निराकरण के लिए धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, कलमबंदी, असहयोग का सहारा नहीं लिया है।
आपसे इस पत्र के माध्यम से समूचे गैर-मंत्रालयीन स्टेनोग्राफर्स की ओर से आग्रह है कि, लिपिकवर्गीय कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों, मॉंगों का निराकरण करते समय विगत् दशकों में शीघ्रलेखकों के साथ हुई उपेक्षा, अन्याय को भी ध्यान में रखते हुए गैर-मंत्रालयीन शीघ्रलेखकों की वेतनमान, ग्रेड-पे विसंगतियों का निराकरण करते हुए समय-समय पर ज्ञापन के माध्यम से आपसे की गई मॉंगों का निराकरण करते हुए इस संवर्ग के प्रति भी अपनी संवेदनशीलता का परिचय देंगे।