
अध्यापकों की मांगों के लिए संवेदनहीन सरकार तक अपनी व्यथित वेदना को लेकर एक अध्यापक बहन ने नारी के सर्वश्रेष्ठ सौंदर्य के प्रतीक केशों को त्यागकर मुण्डन तक करा लिया किंतु इस मिथ्याभाषी सरकार को अभी तक कोई एहसास नही हुआ है। अध्यापकों के संघर्ष हेतु संघर्षशील अध्यापक महासंघ का समर्थित संगठन शिक्षक कॉंग्रेस द्वारा भी निर्धारित कार्यक्रम के तहत आज मुंडन एवं मौन जुलूस के कार्यक्रम में सहभागिता प्रदान की।
इस कार्यक्रम में कटनी में चल संगठन के द्वारा दोपहर 12 बजे वेंकट लाइब्रेरी के पास आक्रोशित अध्यापक एकत्र होकर अपनी मांगों की आवाज उठायेंगे।संघर्षशील स्वाभिमानी एवं सांगठनिक संकोच से मुक्त होकर अध्यापक साथी संघर्ष के साक्षी एवं सहयोगी रहेें। नवनीत चतुर्वेदी, रामनिधि मिश्रा,इलियास अहमद,अनूप सिंह,अनिल मिश्रा, सीबी दुबे,दिलीप द्विवेदी,श्रवण पाठक,मो. फहीम,कमलेश गर्ग,ऋषि परौहा,सुरेंद्र समदड़िया,ललित पटैल, उपेंद्र शर्मा,प्रहलाद मिश्रा, ओम प्रकाश दुबे,ओम प्रकाश राय, राजेश सराठे,प्रद्युम्न बख्शी, बसंत पांडे,सीएल यादव,बुद्धु लाल गोंटिया,देवेंद्र दुबे, राधेश्याम पठारिया,नारायण मिश्रा, केशलाल साहू,उमाकांत पाण्डे, गिरिकिशोर गुप्ता,सोमदत्त तिवारी,छविधर मोहन दुबे,अरविंद सोनी,अनिल झरिया,रामप्रकाश बर्मन,जावेद खान,ओंकार त्रिपाठी,सुरेंद्र मेहरा,राहुल जैन,झलकन सिंह एवं समस्त शिक्षक कॉंग्रेस परिवार।