
गौरतलब है कि पंचायत सचिवों ने विगत 02 वर्षों में 03 बार 6वां, 7वां वेतनमान का लाभ देने, अनुकंपा नियुक्ति सहित 08 सूत्रीय मांगो के निराकरण कराने के लिए काम, कलम और कार्यालय बंद हड़ताले की है, इन हड़तालों को तुड़वाने के लिए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सहित पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव, वित्त मंत्री जयंत मलैया ने शीघ्र आदेश जारी करवाने का आश्वासन दिए थे, लेकिन आदेशों का आज तक कोई अता-पता नही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शाजापुर जिले के सुजालपुर की अकोदिया मंडी, रीवा एवम रायसेन जिलो के विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान भाषणों में पंचायत सचिवों को 6वां वेतन का लाभ देने को घोषणा मंच से भी कर चुके है, मुख्यमंत्री ने आधिकारिक फेसबूक पेज CM MADHYA PRADESH में 26 नवम्बर 2017 की कैबिनेट की बैठक में पंचायत सचिवों को छटवां वेतनमान की स्वीकृति किये जाने की जानकारी प्रकाशित भी की थी, उसके बाद उनके विधानसभा के नसरुल्लागंज में सचिवों के मंच पर जाकर 2017 में ही छटवां वेतनमान के आदेश जारी करने का आश्वासन दिया था, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ, फिर 03 जनवरी को गुना प्रवास के दौरान जनवरी के छटवे वेतनमान के आदेश जारी करवाने की बात कही लेकिन अधिकारी फ़ाइल दबाकर बैठे है या अनसुनी कर रहे है, कारण जो भी हो मुख्यमंत्री की घोषणाये कोरी ही साबित हो रही है।
सरकार द्वारा पंचायत सचिवों की निरंतर उपेक्षा की जा रही है, मुख़्यमंत्री रोज नई नई तारीख दे रहे है, जिससे प्रदेश के 23 हज़ार पंचायत सचिव आक्रोशित और अचंभित है, अब प्रदेश के पंचायत सचिवो के सभी संगठन एक होने, एक मंच और एक बैनर के तले साथ आकर पंचायत सचिवो के हितों की लड़ाई लड़ने का मन बना रहे है, जिससे सरकार की फुट डालो और राज करो कि नीति का कोई असर नही होगा, पंचायत सचिवो का ग्रामीण क्षेत्रो में अच्छा खासा जनाधार है यदि उपचुनाव के पूर्व सरकार इन्हें नही मनाती है तो मुंगावली और कोलारस दोनों उपचुनाव में सरकार को फजीहत झेलनी पड़ सकती है।