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बिरसा मुंडा ग्राम सभा के अध्यक्ष ने बताया कि जिले के परसवाड़ा, बैहर और बिरसा तहसील भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के तहत अनुसूचित क्षेत्र में आते हैं। इसके अनुसार आदिवासियों का अपना विधान, अपना शासन और अपने तरीके से जीने का अधिकार प्राप्त है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने 1977 में एक आदेश भी पारित किया था जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि आदिवासी हिन्दू नहीं है। वे प्रकृति पूजक हैं ना कि मूर्तिपूजक।
ऐसे में ग्राम पंचायतों के सचिवों की बैठक लेकर उन्हें निर्देशित किया है कि सरपंचों से कहें वे एकात्म यात्रा के क्षेत्र प्रवास दौरान कांसे का लोटा, पीले कपड़े में लपेटकर कलश के रूप में भेंट करें जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं और बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार किसी भी सरपंच द्वारा लोटा भेंट नहीं किया जाएगा।
इस संबंध में जब हमने बैहर की प्रभारी एसडीएम से चर्चा की तो उन्होंने स्वीकार किया कि सचिवों की बैठक ली गई थी, लेकिन यह स्वैच्छिक काम है किसी को जबरदस्ती नहीं है। विरोध के सवाल पर उन्होंने कहा कि ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा गया है।