
डॉक्टर की मानें तो छात्र को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। यदि समय रहते छात्र का इलाज कराया जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। वहीं घटना के बाद छात्रावास अधीक्षक गोलमोल जवाब देकर अपनी जवाबदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है। आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले के छात्रावासों में आये दिन लापरवाही के मामले सामने आते रहते हैं। छात्रावास में छात्रों को पढ़ाने के नाम पर उनके जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
हाल में ही बोंदर बालक छात्रावास में सीनियर छात्रों की प्रताड़ना से तंग आकर सातवीं कक्षा के छात्र ने जहर खाकर खुदकुशी का प्रयास किया था। पीड़ित छात्र ने इस बात की शिकायत छात्रावास अधीक्षक से भी की थी, लेकिन प्रबंधन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण छात्र को आत्महत्या करने जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।