भोपाल। आदि शंकराचार्य की एकात्म यात्रा के दौरान मंडला कलेक्टर सूफिया फारूकी द्वारा शंकराचार्य की चरण पादुकाएं सिर पर उठाई गईं। भाजपाईयों को उम्मीद थी कि उनके पास अच्छा मौका आया है। वो इसे जमकर भुनाएंगे परंतु इसे लेकर कोई विवाद ही नहीं हुआ। हालात यह हैं कि भाजपाई बार-बार सोशल मीडिया पर महिला कलेक्टर सूफिया फारूकी की फोटो के साथ कुछ इस तरह की पंक्तियां लिख रहे हैं कि कोई तो भड़क जाए। कुछ मीडिया संस्थान भी इस मामले को सुलगाने की कोशिश कर रहे हैं। नेताओं से सवाल किए जा रहे हैं। बावजूद इसके मप्र अपनी स्प्रिट का प्रदर्शन कर रहा है। मामले में अब तक राजनैतिक रंग नहीं लिया है।
मप्र में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने भी इसे वो रंग नहीं दिया जिसकी चाहत थी। केवल इतना कहा कि यह सिविल सेवा आचरण संहिता का उल्लंघन है। काफी भड़काने की कोशिश के बावजूद बवाल शुरू नहीं हो पाया है। हां कांग्रेस ने एक आपत्ति जरूर उठाई है। कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस की आपत्ति बहुत साफ है कि किसी कलेक्टर को अपनी धार्मिक आस्थाओं की अभिव्यक्ति की आजादी है, वो उसका काम करें। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक बात ये है कि कोई कलेक्टर जो उनका काम है, उन पर ध्यान न देकर यदि वो भाजपा के पक्ष में काम करें, ये ठीक नहीं, क्योंकि कलेक्टर की फोटो भाजपा के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से जारी की गयी है। भाजपा के प्रवक्ता और मंत्री कलेक्टर का पक्ष ले रहे हैं।
मौके के इंतजार में बैठे भाजपा नेताओं ने बयानबाजी की शुरूआत कर दी है। शिवराज सिंह सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने व्यक्तिगत तौर पर मंडला कलेक्टर की पहल को अच्छा बताया है। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि उन्होंने एक अच्छी नजीर पेश की है। अच्छा काम किया है, भले वो सामाजिक समरसता की दृष्टि से देखें। किसी भी आयोजन के लिए जिससे संदेश अच्छा जाता है और लोगों को प्रेरणा मिलती है, तो मैं व्यक्तिगत तौर पर उसे अच्छा मानता हूं। मिश्रा ने कलेक्टर की फोटो भाजपा द्वारा प्रचारित किए जाने पर कोई बयान नहीं दिया।
भाजपाईयों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वो इस फोटो को बार बार शेयर क्यों कर रहे हैं: यह एक सामान्य घटनाक्रम है। एकात्म यात्रा और भी कई जिलों में आई। कलेक्टरों ने स्वागत सत्कार किया। अपनी श्रृद्धा प्रकट की। कुछ और भी कलेक्टर हैं जिन्होंने शंकराचार्य की पादुकाएं अपने सिर पर उठाईं। सुफिया के मामले पर ही रंग चढ़ाने की कोशिश क्यों की जा रही है।
क्या उन्हे लगता है कि यह भाजपा की कोई बड़ी उपलब्धि है।
क्या वो एक कलेक्टर के इस प्रदर्शन को बड़ी घटना मानते हैं।
क्या वो मुसलमानों का चिढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या वो इसे राजनैतिक मुद्दा बनाना चाहते हैं।
क्या वो जनता का ध्यान मध्यप्रदेश के मूल मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या भाजपा अगले चुनाव की तैयारियां इस तरह के हंगामों के साथ करना चाहती है।