
जानकारी के मुताबिक, प्रदर्शनकारी दिव्यांग दृष्टिबाधित हैं और राजधानी के नीलम पार्क में तेईस सूत्रीय मांगों को लेकर 26 दिनों से धरना दे रहे थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कभी जल सत्याग्रह किया तो कभी भीख मांगकर ध्यान आकर्षित किया और कुछ दिन पहले ही उनमें से चार दृष्टिबाधितों ने आमरण अनशन शुरू किया था। जिला प्रशासन की ओर से एडीएम जीपी माली ने बताया कि अनशन पर बैठे लोगों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।
बता दें कि, जब इन प्रदर्शनकारियों को यहां से बलपूर्वक गाड़ियों में बैठाकर ले जा रहा था, तब भी ये प्रशासन की कार्रवाई का विरोध करते रहे और कहते रहे कि जिनकी तबीयत बिगड़ी है उन्हें अस्पताल ले जाया जाना चाहिए सभी को क्यों खदेड़ा जा रहा है। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए रात का समय चुना, जिस पर हैरत है। प्रदर्शनकारियों का जरूरी सामान भी अनशन स्थल पर ही पड़ा रह गया।
नेताप्रतिपक्ष भी कुछ नहीं दिला पाए
कांग्रेस ने दृष्टिहीन युवा बेरोजगार संघ की मांगों का समर्थन किया था। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी इनमें मिलने पहुंचे, लेकिन वो इनकी कोई मदद नहीं कर पाए। अजय सिंह ने प्रदर्शनकारियों के साथ फोटो खिंचवाकर अपना नाम तो चमका लिया लेकिन दृष्टिहीन युवा बेरोजगार संघ की मांगों पर विचार करने के लिए सरकार को बाध्य करने की कोशिश तक नहीं की। बात को टालने के लिए इतना जरूर कहा कि वो विधानसभा में इस समस्या को उठाएंगे।
दृष्टिहीन युवा बेरोजगार संघ का कहना है कि सरकार उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन करे, उन्हें सीधी भर्ती से रोजगार उपलब्ध कराया जाए। पूर्व में की गई अवैध भर्तियों की जांच हो। प्रदर्शनकारी दृष्टिहीनों के लिए कम्प्यूटर शिक्षा अनिवार्य करने, छात्रावास खोले जाने और बेरोजगारी भत्ता दिये जाने जैसी तेईस सूत्रीय मांगों के निराकरण की गुहार लगा रहे हैं।