भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को मनाने के लिए प्रदेश की यात्रा पर निकलेंगे। यह यात्रा नर्मदा परिक्रमा पूरी होने के बाद शुरू होगी। कांग्रेस के वार रूम दिल्ली में सात जनवरी को हुई बैठक में दिग्गी का संदेश पहुंचा था। सिंह ने पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को फिर से सक्रिय करने के लिए उन्हें मनाने का जिम्मा उन्हें देने की मंशा व्यक्त की है।
अपनी सियासी मुखरता के लिए चर्चित दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के दौरान ख़ामोशी को गंभीरता से समझा जा रहा है। परिक्रमा के दौरान राजनीति को लेकर मीडिया के सवालों पर उनका मौन किसी बड़े धमाके का संकेत है। वे बाद में भी खामोश रहेंगे, वे ऐसा भी नहीं कहते! लेकिन, वे जो बोलेंगे, वह सरकार के लिए बड़ी परेशानी का कारण ही बनेगा। यह यात्रा मध्यप्रदेश के 110 और गुजरात के 20 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी।
जब ये नर्मदा परिक्रमा बरमान घाट पर पूरी होगी, तब चुनाव की बिसात बिछ चुकी होगी। इसके बाद जब दिग्विजयसिंह अपने वादे के मुताबिक़ खुलासे करेंगे, तब चुनाव सामने होंगे। दिग्विजयसिंह खुद तो चुनाव नहीं लड़ेंगे, परंतु चुनाव में वे जो बोलेंगे, उसके कुछ ठोस मायने होंगे, जिनका भाजपा के पास जवाब नहीं होगा| इस परिक्रमा के बहाने मध्यप्रदेश की राजनीति में वो चेहरा फिर प्रासंगिक हो गया, जिसे दौड़ से बाहर समझ लिया गया था।