भोपाल। पांच बार की तैयारी के बाद भी अब तक कैबिनेट में नही आ पाई नई आबकारी पॉलिसी में सरकार बार-बार तब्दीली कर रही है। पहले प्रदेश भर के अहाते बंद करके शराब लाइसेंसियों को बार लाइसेंस देने का प्रस्ताव तैयार किया गया था लेकिन जनविरोध को देखते हुए अब सरकार इस प्रस्ताव से पीछे हट गई है। तीस जनवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक में अब शराब दुकान लाइसेंसियों को बार के लाइसेंस देने का प्रस्ताव आबकारी नीति से हटा दिया गया है। सरकार अब चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में शराब बंदी लागू करने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घोषणा कर चुके है कि प्रदेश में अब शराब की कोई नई दुकान नहीं खोली जाएगी। नर्मदा नदी के आसपास शराब की दुकाने बंद करने का निर्णय भी लिया जा चुका है। मुख्यमंत्री सभी अहाते बंद करने की घोषणा भी कर चुके है। लेकिन इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए राज्य सरकार ने नई आबकारी नीति में यह प्रावधान किया था कि शराब लाइसेंसियों को अहाते बंद करने के बाद बार का लाइसेंस दे दिया जाएगा। इससे वे अहातों के स्थान पर बार शुरु कर सकेंगे।
नीति तय होने में देरी से शराब ठेकेदारों को होगा फायदा
प्रदेशभर में 30 मार्च तक शराब दुकानों के ठेके होने है। लेकिन जनवरी बीत गया है और अब तक नई पॉलिसी तय नहीं हो पाई। ठेके तय करने के लिए कम समय मिलने का सरकार को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा। इसका सीधा फायदा अब शराब ठेकेदारों को होगा।नई आबकारी नीति कैबिनेट में लाने के लिए पांच बार तैयारी हो चुकी है लेकिन अब तक इस पर चर्चा नहीं हो पाई। समय पर आबकारी नीति तय हो जाती तो ठेके करने के लिए सरकार ज्यादा बार आॅक्शन करवा सकती थी। लेकिन समय कम बचने से बार-बार आक्शन करने का मौका नहीं मिलेगा और ठेकेदार समूह बनाकर कम दरों पर ठेके लेंगे।
चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में नशाबंदी
राज्य सरकार शराब की दुकानों का भी राजनीतिक वेटेज लेना चाहती है। चरणबद्ध तरीके से शराब बंदी का एलान भी नई नीति के जरिए करने का प्रावधान किया जा रहा है। जिस तरह सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान पर प्रतिबंध है उसी तरह इन स्थानों पर शराब पीने पर भी प्रतिबंध रहेगा।