भोपाल। देश भर में फल एवं सब्जियों का विक्रय अक्सर किसान करते रहे हैं लेकिन अब कुछ कंपनियां भी आ गई हैं। इधर मध्यप्रदेश शासन ने आदेशित किया है कि फल एवं सब्जियों का विक्रय करने के लिए भी फूड रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस लेना होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो आपके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं भोजन बनाने या वितरण का कार्य करने वाली संस्थाओं को अब अनिवार्य रूप से फूड रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस लेना होगा। खाद्य एवं औषधि प्रशासन भोपाल ने इसके निर्देश जारी कर दिए हैं।
नए नियमों का पालन नहीं किया गया तो संबंधित संस्थाओं पर कार्रवाई के साथ शासन द्वारा दी गई मान्यता भी समाप्त कर दी जाएगी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की भोपाल जिले की डेजिगनेटेड आफिस (डीओ) श्वेता पंवार ने सभी शासकीय और निजी विभागों और संस्थानों को पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह फूड लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करें।
इन संस्थाओं को लाइसेंस लेना अनिवार्य
मेस एवं कैंटीन,
विकलांग केंद्र,
अनाथालय,
वृद्घाश्रम,
नारी सुधार केंद्र,
बाल सुधार गृह,
आरोग्य केंद्र,
शासकीय और निजी अस्पतालों की कैंटीन,
मध्यान्ह भोजन बनाने वाली समितियों व स्कूल,
बंदीगृह,
थानों में विचाराधीन अपराधियों को भोजन वितरित करने वाली संस्थाएं,
देशी विदेशी शराब दुकानें,
निर्माता,
आयातकर्ता,
निर्यातकर्ता,
भांग व ताड़ी दुकानें,
फल सब्जी विक्रेता,
मेलों में संचालित खाद्य प्रतिष्ठान,
भंडार गृह,
वेयरहाउस,
खाद्य प्रसंस्करण संस्थाएं (राशन दुकानें),
सांची दूग्ध संघ,
अनाज क्रय विक्रय केंद्र (सोसायटियां) आदि।
इसलिए लिया गया निर्णय
आंगनबाड़ी से खाद्य और शराब दुकानों से पेय पदार्थ का वितरण किया जाता है। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन हॉस्टल, जेल, अनाथालय, वृद्घाश्रम, कॉलेज कैंटीन में खाना बनने के साथ वितरण किया जाता है। खाद्य पदार्थ में यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है या किसी की मौत हो जाती है, उस स्थिति में कड़ी कार्रवाई संभव हो सकेगी। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच लगातार होती रहेगी।
इन विभागों को भेजा पत्र
स्कूल शिक्षा विभाग,
महिला एवं बाल विकास विभाग,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग,
सहकारिता विभाग,
खाद्य विभाग,
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग,
सामाजिक न्याय विभाग,
जेल विभाग,
चिकित्सा शिक्षा विभाग,
उच्च शिक्षा विभाग,
तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विभाग,
अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग,
वेयर हाउस एण्ड लॉजिस्टिक कार्पोरेशन आदि।