भोपाल। लोकायुक्त पुलिस भोपाल मुख्यालय ने टीकमगढ़ में एक छापामार कार्रवाई कर लोकायुक्त सागर के एक कथित ऐजेंट को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार युवक का नाम रामकुमार विश्वकर्मा है। वह अपने प्राइवेट वाहन पर मप्र शासन लिखता था और खुद को लोकायुक्त सागर का अधिकारी बताता था। जिन कर्मचारियों/अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त कार्रवाई करता था, रामकुमार केस रफादफा कराने के लिए उनसे संपर्क कर सकता था। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि रामकुमार लोकायुक्त सागर के किस अधिकारी के संपर्क में था।
लोकायुक्त भोपाल को टीकमगढ़ एवं आसपास के इलाकों में चल रहे इस गोरखधंधे की भनक तब लगी, जब टीकमगढ़ के विजय अहिरवार ने लोकायुक्त एनके गुप्ता से दो दिन पहले लिखित शिकायत की। विजय ने लोकायुक्त को बताया कि चार अक्टूबर को आदिम जाति कल्याण विभाग में बाबू के रूप में पदस्थ उसके पिता रतिराम अहिरवार को सागर लोकायुक्त पुलिस ने 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ ट्रैप किया था। लोकायुक्त की टीम आगे कार्रवाई न करे इसके लिए टीकमगढ़ निवासी रामकुमार विश्वकर्मा ने विजय से पांच लाख रुपए ऐंठ लिए।
रामकुमार ने खुद को सागर लोकायुक्त में पदस्थ सब इंस्पेक्टर बताया था, जिसे इन दिनों टीकमगढ़ में काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आरोपी ने उसे लोकायुक्त विशेष अदालत की एक फर्जी नोटशीट भी दी, जिसमें उसने रतिराम को बरी बता दिया था। इस आधार पर लोकायुक्त ने नौ सदस्यीय टीम टीकमगढ़ भेजी थी। टीम ने गुरुवार को रामकुमार के घर पर दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से कंप्यूटर, लेमिनेटर, नोटशीट समेत अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
और भी हो सकती हैं गिरफ्तारियां
टीम ने फिलहाल रामकुमार को भ्रष्टाचार अधिनियम, जालसाजी और आपराधिक षडय़ंत्र रचने की धाराओं में गिरफ्तार किया है। उसके खिलाफ जांच के दौरान धोखाधड़ी समेत अन्य धाराएं बढ़ाई जाएंगी। डीएसपी एनएस राठौर ने बताया कि अदालत में पेश कर उसे रिमांड पर लिया जाएगा। इस मामले में और भी कुछ गिरफ्तारियां हो सकती हैं। पता चला है कि उसे सोना चोरी के मामले में भी पहले गिरफ्तार किया जा चुका है।
दो पटवारियों से वसूले पांच लाख
डीएसपी एनएस राठौर और इंस्पेक्टर मुकेश तिवारी की टीम ने रामकुमार के घर पर 5 घंटे तक कार्रवाई की। जालसाज से लोकायुक्त का फर्जी आईकार्ड भी मिला है। जांच में सामने आया है कि वह तकरीबन दस लोगों को विशेष कोर्ट की फर्जी नोटशीट देकर केस से बरी बता चुका है। टीकमगढ़ के दो पटवारियों पर कार्रवाई न करने की धौंस दिखाकर 5 लाख रु. भी ऐंठे हैं।
अपना आॅफिस और स्टाफ भी था
टीकमगढ़ के कौशलपुरी में रहने वाला रामकुमार सरकारी कर्मचारियों से करीब एक साल से अवैध वसूली कर रहा था। उसके पिता शिक्षक हैं। फर्जी छापों के लिए उसने 5 लोगों की टीम बनाई थी। 17-17 हजार रु. की तनख्वाह पर दो युवतियों और एक युवक को कंप्यूटर ऑपरेटर रखा था। खुद मप्र शासन का बोर्ड लगी एसयूवी से जाकर लोगों को धमकाता था।
किसके इशारे पर काम कर रहा था
इस मामले में यह पता किया जाना बहुत जरूरी है कि रामकुमार किसके इशारे पर काम कर रहा था। वह खुलेआम खुद को सागर लोकायुक्त का अधिकारी बोलता था। वाहन पर मप्र शासन, प्राइवेट आॅॅफिस, आईडी और दस्तावेज सबकुछ खुल्लमखुल्ला कोई ठग नहीं कर सकता। यह सबकुछ तभी होता है जब किसी को संरक्षण प्राप्त हो। अब देखना यह है कि क्या लोकायुक्त भोपाल की टीम लोकायुक्त सागर के उस अधिकारी को कार्रवाई की जद में लाएगी जिसने रामकुमार को पैदा किया।